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हम उस देश में रहते है जिस देश में दुनियाके हर देशों की एक एक झलक मौजूद है जिसकी सभ्यता और तहज़ीब पूरी दुनिया में मशहूर है जिसके एकता और प्रेम के चर्चे दुनिया के हर कोने में होते हैं शर्म हया और मोहब्बत का बेमिसाल देश भारत है जब हम अपने देश से बाहर निकलते हैं तो अपनी शान की कहानी लोगों की ज़बान से सुन कर ख़ुशी महसूस करते हैं और गर्व होता है के हम ऐसे देश में रहते हैं जहाँ हर धर्म हर समुदाय के लोग आपसी मेल जोल और मोहब्बत से रहते हैं एकता हमारी शान है मोहब्बत और एक दूसरे का सम्मान हमारी पहचान है जिस देश के अनगिनत खूबियां हैं हक़ितात तो ये है के जब दुनिया शुरू हुयी तो इसी भारत से शुरू हुयी मतलब ये के दुनिया के सबसे पहले इंसान बाबा आदम इसी देश की धरती पर आये जो आज श्रीलंका बन गया इंसानियत का पहला डीप इसी धरती से जला यही वजह है के हमारा देश आज सब देशों से अनोखा और बहुत सी खूबियों का मालिक है .
मगर आज हमारे देश के इन तमाम खूबियों और शान को ग्रहण लगते जा रहा है हमारी इज़्ज़त खाक में मिलने के कगार पर पहुँच रही है हर तरफ नफरत और ज़ुल्म का तूफ़ान उठ रहा है कही दो धर्म के ठीकेदार आपस में युद्ध का एलान कर रहे हैं तो कही महापरुषों के आचरण पर सवाल उठाये जा रहे हैं तो कही हमारी ग़रीब व मजबूर बहन बेटियां अपनी इज़्ज़त और शान को बचाने में असफल हो रही हैं तो कहीं अनेक कारणों से उनकी जान भी जा रही है पुरे देश में आज यही शोर उठ रहा है के जहाँ बेटियों को देवी कहा जाता था मान बहनो को पलकों पर बिठाया जाता था एक बहन अपने भाईओं को राखी बाँध कर उसकी जान की सलामती की दुआएं करती हैं वही भाई आज बहनो की इज़्ज़त बचाने में लाचार और कमज़ोर क्यों बन गया क्या आज हम इतने गिर चुके हैं के एक बहन की हिफाज़त नहीं कर सकते एक अबला नारी जो के मेरी बहन या माँ है उसकी इज़त की हिफाज़त के लिए एक वचन नहीं दे सकते आज पुरे देश में ये चर्चा हो रहा है के हर ढाई मिनट में एक बलात्कार होता है भारत में आखिर इसका ज़िम्मेदार कौन है कौन है जो करता है बलात्कार क्या वो भाई नहीं क्या वो बाप नहीं क्या वो चाचा नहीं क्या वो एक महान देश का रखवाला नहीं क्या वो अपनी बहन का भाई नहीं क्यों मर गया हम भाईओं का ज़मीर क्यों होगया सफ़ेद हमारा खून क्यों उत्तर गयी हमारे आँखों से शर्म क्यों भूल गए अपने घर को क्यों नहीं आवाज़ सुनाई देती है बहन की चींख आखिर ये क्यों और कब तक कौन आएगा हमें रोकने के लिए कौन समझायेगा हमें के ये पाप है ये गुनाह है ये ज़ुल्म है ये ग़लत है ये अनन्याय है ये किसी भी धर्म में जाएज़ नहीं किसी भी धर्म या समाज या ज़ात या घर में इस से बड़ा कोई पाप नहीं .
क्यों नहीं हम कहते कसम के हम अपने पड़ोस गांव मोहल्ले या जहाँ तक हमारी ताक़त या नज़र जा सकती है हम करेंगे इस ज़ुल्म से मुक़ाबला हम बचाएंगे अपनी बहनो को अपने देश की इज़्ज़त को अपने देश के मर्यादा को अपनी शान को .
मजबूर होकर कहना पद रहा है के आज अगर इस देश में इस्लाम का एक और कानून लगा दिया जाए के हर बलात्कारी को चौराहे पर खड़ा करके कोड़े या डंडे मारे जाएँ जहाँ हर तरह के लोग जमा होते हैं तो तब भी हमारी हिम्मत होगी के हम किसी बहन को गन्दी नज़र से देखें अगर ये नहीं हो सकता तो शायद ये हमारे देश की बहनो और बेटियों के साथ ऐसा उस वक़्त तक होता रहेगा जब तक हमारी इज़्ज़त और देश की शान को दीमक लग जाए और पूरी दुनिया की नज़रों से हम गिर न जाएँ .
हमारे देश का कानून बहुत ही लचकदार और धीमी है हर तरह के रास्ते हैं शिकायत करने वाला भी है तो सच को झूट बना कर बचाने वाला भी है हर तरह के वकील भी हैं हर तरह के गवाह भी हैं पैसे का ज़ोर भी है अपील की गुंजाइश और तारीख को लम्बा करने का तरीका भी है इस लिए आज अब ये ज़ुल्म और अत्त्याचार पुलिस या अदालत से रोकना बहुत मुश्किल हो चूका है रिश्वत पैरवी और आला अधिकारी तक पहुँच भी है ग़रीब की इज़्ज़त एक कीड़े मकोड़े से भी कम है नेता या बड़े वि आई पि के घर में एक मामूली चोरी हो या उसकी बेटी पर किसी की ग़लत निगाह पद जाए तो वो बच नहीं पाये ज़मीन से खोद कर एक पल में निकल जाए एक ग़रीब की बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या हो जाए तो किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़े आखिर हम कब तक करेंगे इंतज़ार क्या है रास्ता कैसे बचा सकते हैं अपने घर की इज़्ज़त ?
तो अब हमें खुद होना होगा बेदार खोलनी होगी अपनी आँख जगाना होगा अपनी ज़मीर को चलना होगा एक अभियान देनी होगी एक आवाज़ हम चुनाव के प्रचार के लिए घर घर जा कर एक वोट की भिक मांग सकते हैं दूसरे पार्टी की शिकायत और बुराई करके अपने हक़ में वोट डालने के लिए राज़ी कर सकते है अपनी कुर्सी या चंद सिक्के के लिए दूसरे की लाठी खा सकते है जलूस निकल सकते हैं यात्रा कर सकते हैं शक्ति प्रदर्शन कर सकते हैं संकल्प रैली या रेला निकल सकते हैं मगर अफ़सोस बेटी बहन की हिफाज़त के लिए गांव नगर की शान को बचाये रखने के लिए देश के नाम को रौशन करने के लिए इज़्ज़त व आबरू से नारी जगत को जीने देने के लिए एक अभियान क्यों नहीं एक संकल्प क्यों नहीं एक रैला क्यों नहीं एक योजना क्यों नहीं एक मंच क्यों नहीं एक पंचायत क्यों नहीं एक अनोखा और मज़बूत कानून क्यों नहीं एक आवाज़ क्यों नहीं ……इस लिए के ग़रीबों के पास फुरसत नहीं पैसा नहीं कोई इनका नेता नहीं इनका कोई दर्दमंद नहीं कोई सहारा नहीं कोई पार्टी नहीं कोई ग़रीबों के दिल के दर्द को सुनने वाला नहीं ………….क्यूंकि हम जागरूक नहीं हम किसी के हमदर्द नहीं हमारे अंदर इंसानियत नहीं हमें देश से मोहब्बत नहीं हमें हमारे पास वो जज़्बा और तालीम नहीं जिस से दिल को ताक़त मिले ज़मीर जाग जाए खून में गर्मी आये किसी की हिफाज़त के लिए मोहब्बत के लिए इंसानियत के लिए .
अब हमें खुद ही बचाना होगा अपने परिवार को अपने घर को अपने गांव को अपने समाज को अपने देश को हमें खुद रुकना होगा रोकना होगा आपस में वचन लेना होगा देना होगा संकल्प करना होगा तब कहीं हम इंसान बनेंगे और देश की शान को बढ़ा पाएंगे नए अंदाज़ में हिन्दुस्तान को आगे ले जा पाएंगे खुद को कहला पाएंगे महान भारत का महान भारतीय .
तब कहीं कह पाएंगे हम बता पाएंगे हम किसी को चेतावनी दे पाएंगे हम.
हम वो हिंदुस्तानी हैं जो बातिल का पंजा तोड़ देते हैं : तौहीन की नज़रों से न देख मेरे भारत को ज़माना जानता है ऐसी आँखें फोड़ देते हैं
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