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अपमान किसे कहते हैं अगर आज हम समझ जाएँ तो उमीद है के देश को उन्नति के तरफ ले जा सकते हैं आम जनता अपने आप को अच्छा और समझदार नागरिक बना सकती है .
अपमान देश की सभ्यता का
अपमान देश की गरिमा का
अपमान परधान मंत्री के पद का
अपमान अपने ही ज़मीर का
अपमान धर्म गुरु के नाम का इत्त्यादी .
आज जो खबर मैं अपने देश से दूर होकर सऊदी अरब में बैठ कर जो देख रहा हूँ तो आँख में सेवाए आंसू के कुछ नहीं आता के आखिर हमारा प्यारा देश कहाँ जा रहा है क्यूँ धूमिल किया जा रहा है हमारे देश की इज्ज़त को क्यूँ तार तार किया जा रहा है हमारे देश के मर्यादा को.
आज कोई २ करोड़ की लागत से लाल किला बना कर पि एम् के तर्ज़ पर देश की जनता को बेवकूफ बना कर जनता से ही कुछ कहने वाला है क्या कहेगा वो जनता से क्या सुनेगी जनता उस से जबके उसका स्टैंड ही गलत होगा जहाँ खड़ा होगा वो जगह ही गलत होगी फिर वो बोल क्या पायेगा कह क्या पायेगा समझा क्या पायेगा देश के बारे में बता क्या पायेगा जबके वो खुद ही कुछ नहीं जानता वो नहीं जानता के १. तो गरीब जनता के २ करोड़ का गलत इस्तेमाल कर के जनता को ठग कर जनता को ही बेवकूफ बनाने जा रहा है २ पुरे देश में एक ही लाल किला है जहाँ से सवतंत्र दिवस पर सिर्फ देश का पी एम् ही देश की जनता को संबोधित करता है चाहे जो भी हो जिसे जनता चाहती है उसी को उस जगह पर पहुंचती है तो ये देश की जनता का भी अपमान है के आज सिर्फ २ करोड़ में लाल किला और नकली पी एम् का मन बनाये हुए उस पद की गरिमा को धूमिल कर रहा है .
क्या ये सही है अगर नहीं तो क्यूँ चुप है हकुमत क्यूँ चुप है जनता क्या देख रही है जनता कहाँ सो रहा है कानून ये सब हो क्या रहा है क्यूँ हो रहा है ये अपमान .
मैं अपनी भोली भाली जनता से आह्वान करना चाहूँगा के वहां नहीं जाकर ऐसे लोगों को सबक दें बता दें के हम भारतीय हैं भारत अपमान हमें कबूल नहीं ये मामला धर्म का नहीं बलके देश की गरिमा और देश की इज्ज़त का मामला है .
बाबा रामदेव हों या कोई भी साधू संत उन्हें सियासत नहीं करनी चाहिए साधू किसे कहते है संत कौन होता है अगर इसकी जानकारी हो जाए तो ये लोग खुद ही देश हित में बोलेंगे मगर आज कोई भी साधू या संत नहीं सिर्फ एक लेबल लगा कर राजनीति करना चाहते हैं इस लिए मैं कहना चाहूँगा जो राज नेता हैं उनको सही राज नेता बना कर देश को आगे ले जाना हमारा फ़र्ज़ है इस लिए अलग से साधू संतो को इस राजनीति में नहीं आना ही देश हित में है .
देश और धर्म का अपमान ऐसा अपमान है के इसका नफा व नुक्सान मिल ही जाता है देश देश के जनता का होता है धर्म इश्वर अल्लाह गौड़ का होता है जिस तरह हम जिसकी गलती करते हैं वो हमें जेल या पुलिस या पंचायेत से सजा दिलाता है उसी तरह अगर हम देश के साथ मजाक या बे इमानी करते गद्दारी करते हैं तो देश वासी या अदालत हमें सजा देता है अगर धर्म से खिलवाड़ करते हैं धर्म का मजाक उड़ाते हैं तो शर है के मालिक जिसका बनाया हुआ ये धर्म है वो भी हमें माफ़ नहीं करता और न करेगा .
एक सच्ची कहानी अपमान और न उमीदी और सजा दिया गया तो एक जो मनुष्य था उसकी एक सच्ची कहानी सुनाता हूँ के वो क्या किया .
एक मनुष्य जो अपने आप को इश्वर कहता था जिसका नाम शद्दाद था जब उसका पाप ज़ुल्म बहुत बढ़ गया तो किसी ने उसको इश्वर का सन्देश दिया के तुमको सवर्ग नहीं मिलेगा तुमको नर्क ही मिलेगा तो उसने कहा के मैं खुद ही इश्वर हूँ मैं अपना सवर्ग बनाऊंगा और उसी में रहूँगा तो सन्देश देने वाले ने कहा के तुम अपने बनाए हुए सवर्ग में नहीं जा सकते हो शद्दाद ने कहा के मैं न तो दिन में मरूँगा न तो रात में मरूँगा न तो ज़मीं पर मरूँगा न तो आसमान पर मरूँगा अब जहाँ चाहेगा तुम्हारा इश्वर मुझे मार दे मैं देख लूँगा सन्देश देने वाले ने सन्देश दे दिया और चले गए ये सवर्ग बनाया जब सवर्ग तैयार हुआ तो सोचा के सवर्ग में घुमने के लिए सब से अच्छा समय सुबह का होता है जब सूरज नहीं निकला होता है और घोड़े पर बैठ कर घुमने का मज़ा ही अलग है तो इस तरह वो सुबह को घोड़े पर स्वर हुआ और सवर्ग में घुसना चाहा इतने में इश्वर का यमदूत जो जान लेता है उसने कहा के शद्दाद अब चलो समय आ गया है नर्क में जाने का शद्दाद बोल के मैं ने कहा था के दिन में नहीं मरूँगा तो दूं ने कहा के अभी सुबह है दिन है न रात है फिर कहा मैं ज़मीं पर नहीं हूँ तो दूत ने कहा के सही है अब चलो घोड़े पर हो इस तरह दूत ने शद्दाद अपने सवर्ग को देखे बिना नर्क में चला गया .
तो उसने धर्म के साथ खेल्वाद किया नकली सवर्ग बना कर उसको सजा मिल गया आज नरेन्द्र मोदी भी देश के साथ मजाक कर रहे हैं देश की जनता उनके साथ क्या करेगी जनता को पता होना चाहिए ये 2 करोड़ २ घंटे के लिए बर्बाद किया गया या कहाँ का देश भागती और रुपये से हमदर्दी है इस पैसे से कितने गरीबों का पेट भर सकता था जो गरीबों की हमदर्दी लूटने में लगे हैं क्या ऐसा परधान मंत्री होना चाहिए देश का यही सिध्धांत होना चाहिए प्रधान मंत्री का जो सही तरह से से देश से देश की सभ्यता से प्रेम नहीं करता हो न तो देश का सम्मान .
मैं आपकी राय जानना चाहता हूँ के मैं गलत या सही हूँ आपसे आग्रह है के मुझे भी बताएं अगर कही गलत हूँ तो आप मुझे सही राय दें आपका आभारी हूँगा शुक्रिया .
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