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अमेरिका को दोहरी नीति पड सकती है भारी ।

मेरा नज़रिया
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आतंकवाद को जड़ से खत्म करनें की बात करने वाले अमेरिका का दोहरा चेहरा सबके सामने आ चुका है। भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होने वाला अमेरिका, लश्कर को अलकायदा जैसा खतरनाक संगठन तो मानता है मगर दूसरी ओर अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को क्लीन चिट भी दे दी जाती है। इससें पहले भी जब भारत नें अमेरिका के सामनें भारत में हुए हमलों के लिए पाकिस्तान को दोषी बताया तो अमेरिका ने उस पर कोई खास प्रतिक्रिया नही की। भारत में हुए आतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ रहा है फिर चाहे वो मुंबई का हमला हो या भारतीय संसद पर। ऐसा लगता है जैसे अमेरिका अपनें सबसे बड़े दुश्मन और अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारकर आँखे मूंद कर बैठ गया है…. कल तक पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने वाला अमेरिका आज यह कहता है कि पाकिस्तान सरकार को लादेन की मौजूदगी की जानकारी नही थी। जो देश विश्व में  आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय होने के लिए जाना जाता हो उसको इस प्रकार से क्लीन चिट देना यकीनन आश्चर्यजनक है।… क्या अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी पाकिस्तान से डरनें लगा है या फिर अपनी दोगली नीतियो से वाहवाही लुटनें के प्रयास में है ? पड़ोसी देश होने के नाते भारत पाकिस्तान के इरादों को भलीभातिं समझता है इसलिए जब भी कोई आतंकी हमला हुआ है उसमें पाकिस्तान की भागीदारी साफ नज़र आ जाती है। मगर पाकिस्तान की ओर से सबूतो की माँग का जाती है जिसे भारत कई बार पुरा भी कर चुका है फिर भी स्थिती ज्यों का त्यों बनी हुई है। भारत को अमेरिका से उम्मादें थी कि वह आतंकवाद के खिलाफ चल रही लडाई में भारत के साथ है मगर अमेरिका ने साबित कर दिखाया कि उसकी कथनी-करनी में कितना फर्क है।….और जबकि अब हेडली भी पाक के नपाक इरादों की पोल खोल चुका है क्या अब भी सबूतों की कमी रह जाती है?

अमेरिका भारत में हुए हमलों व मारे गये लोगो को कैसे अनदेखा कर सकता है? जिस देंश में सरकारी खुफिया ऐजंसी और आतंकवादी संगठन मिल के काम करते हो, जहाँ आतंकवादियो को हमला कर मासुम लोगो की जान लेने का प्रशिक्षण दिया जाता हो ऐसे देंश को क्लीन चिट देना क्या वाकई लाज़मी है ? अपनें फायदे के लिए मुखौटा लगाऐ यही दोगली नीतिया भविष्य में अमेरिका के लिए खतरा पैदा कर सकती है, आज जिन्हे क्लीन चिट देकर वो बचाने की कोशिश कर रहे है कल को उन्ही में से ना जाने कितने ही लादेन बन अमेरिका के लिए खतरें का सबब बन सकते है।

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