samadhan
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मानव धरती की अन्य इकाइयों से भिन्न है क्योंकि यह सोचता है तब करता है I अतः इसके करने को ठीक करने के लिए इसका सोचना ठीक करना पड़ता हैI अभी ज्यादातर हम करना ठीक करने का आग्रह करते हैं और वह पूरा नहीं पड़ता हैI सोचना ठीक करने के लिए शिक्षा की आवश्यकता है, तो अगर आने वाली पीढी में हम खुशी देखना चाहते हैं तो उनके शिक्षा को खुशी लाने वाली शिक्षा के रूप में विकसित करना पड़ेगाI
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