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राहुल बने नीलकंठ जनता समझे कठफोड़वा

JANMANCH
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लीजिये साहब अब कांग्रेस की कायापलट हो जायेगी, राहुल जी को पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया गया है, और मैं ये सोचने लगा की तो अब तक पार्टी का उपाध्यक्ष कौन था ? ये सामान्य ज्ञान का प्रश्न हो सकता है परन्तु मैं अज्ञानी तो ये समझता था की पहले से ही राहुल जी उपाध्यक्ष हैं और सोनिया जी अध्यक्ष और उसके बाद सब लोकतांत्रिक भक्तगण। सब कुछ बदला बदला सा लग रहा है, सारा देश राहुलमय हो गया है, पार्टी कार्यकर्त्ता उसी जोशोखरोश से राहुल जी के जयकारे लगा रहे हैं जिस प्रकार वो हर राज्य में चुनाव हारने से पहले लगाते हैं। बहरहाल जैसे ही सीमा पर सैनकों की शहादत का मुद्दा कुछ ठंडा हुआ जैसे ही दिल्ली बलात्कार का मुद्दा ठन्डे बस्ते में गया भारत देश की अजीबोगरीब अबूझ पहेली फिर चर्चा में आ गयी की ऐसे समय में राहुल बाबा कहाँ चले जाते हैं? लेकिन हर किसी से प्रश्न पूछने वाले मिडिया ने राहुल जी से कोई प्रश्न कभी नहीं पुछा कोई बात नहीं ये क्या कम है की ये पत्रकार किसी की तो चुपचाप सुनते हैं वर्ना बाल की खाल उधेड़ते रहते हैं।



ये अच्छा पता चला की अब 100 पैसे मैं से 99 जनता तक पहुंचेगे परन्तु एक पैसा शायद राहुल जी 99 पैसे जनता तक पहुंचाने की फीस लेंगे। कुछ लोग कह रहे थे ” लो कर लो बात इस से तो ठीक पहले ही था की जनता पर पूरे 100 पैसे आते थे और ये नेता 75 पैसे जनता से हड़प जाते थे अब तो आयेंगे ही 99 पैसे यानी 1 पैसे की खुले आम दलाली और बाकी 75 पैसे की बंद दलाली जनता के पास 24 पैसे ………? पता नहीं जनता खुश क्यों हो रही है की 99 पैसे मिलेंगे। ये राहुल भैया भी जाने कौन सा जादू कर देता है की एक पैसे का खुला नुक्सान भी 74 पैसे का फायदा नजर आ रहा है ……….. होने दो खुश बहुत जल्द गणित समझ आ जाएगा फिर कहेंगे ये कैसा घोटाला हो गया खैर छोड़ो मुझे क्या ?


आज पता चला की सत्ता “ज़हर” होती है पहले तो हम समझते थी की नशा होता है। देखो तो हमारे “राहुल बाबा” अब “भोले बाबा” की तरह जनता की भलाई के लिए ज़हर पीने को तैयार हैं, कोई उनके इस भलाई के काम को नहीं समझ रहा है जनता को भोले बाबा का ज़हर पीना नज़र आता है लेकिन राहुल बाबा का ज़हर पीना नज़र नहीं आता, यहाँ एक आदमी जान देने को तैयार है और जनता सत्ता को नशा समझ कर राहुल जी को नशेड़ी समझकर दूर भाग रही है।राहुल काम कर रहे हैं नीलकंठ का और जनता कठफोड़वा समझ रही है, जनता को समझना चाहिए की एक परिवार उनके भले के लिए निरंतर ज़हर पीता चला आ रहा है और ये लगातार उनको भुलाने पर अमादा है अब तो ये भी नहीं कहा जा सकता की इतने वर्षों से लगातार ज़हर पी पीकर उनके अन्दर कितना ज़हर भर चुका है देश के लिए, जनता के लिए। राहुल जी ने “बैड मिन्टन” बचपन सीखा था परन्तु वो ज़हर पीने के चक्कर में बड़े खिलाड़ी न बन सके, जनता को समझना चाहिए की अगर वो ज़हर पीने में समय न बर्बाद करते तो आज भारत के पास दो चार मैडल तो बैड मिन्टन के भी मिल गए होते नाम होता सो अलग अब ये तो वही बात हो गयी की “मुर्गी जान से गयी मियाँ जी को मज़ा भी न आया।” जनता को राहुल बाबा का त्याग नज़र ही न आया।


22081_418758334867319_489705579_nआज ये भी पता चला की अब कांग्रेस में नेता ऊपर से थोपे नहीं जायेंगे कार्यकर्ताओं की पसंद से ही नेताओं को चुना जाएगा और ये बात एक ऊपर से भेजे गए नेता ने कही जाने कितनी सच कितनी झूठ। मैं तो सब सच ही समझता हूँ  माता सोनिया भी राहुल बेटा  का भाषण सुनकर रो पड़ीं मिडिया ने समझा वो भावुक हो गयीं ये तो अब आज तक चैनल के सर्वे ने दिखाया की 63 प्रतिशत जनता ने भाषण को बेकार बतलाया है  तो समझ में आया की माता सोनिया क्यों रोयीं, ये पत्रकार भी क्या जाने की माँ के दिल में क्या है जनता जानती है क्योंकि वो अपनी माता (भारत) को दिल से चाहती है  बताइये दर्द को भावुकता का नाम दे दिया। और जब टीवी पर पता चला की केवल सोनिया ही नहीं रोयीं कई कार्यकर्ता भी रो दिए तो जाना की दर्द कितना गहरा है।


चलिए फिलहाल तो राहुल बाबा के पार्टी उपाध्यक्ष बनने की जनता को खुशियाँ मनाने दें ……… पर एक समझ नहीं आई की राहुल बाबा दौड़ तो अकेले ही लगा रहे थे फिर भी दुसरे नंबर पर ही कैसे रह गए ……. ? सोचिये सोचिये ………. ! आखिर कुछ फ़र्ज़ तो आप सबका भी है की देश के भलाई के विषय में भी सोचें या केवल राहुल बाबा ही सोचते रहेंगे …..

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