कांग्रेस में अब कोई गद्दार नहीं बचा है जो थोड़े बहुत थे वो या तो कांग्रेस से निकाल दिए गए या उन्होंने स्वयं ही कांग्रेस छोड़ दी, और शायद अब तो सब वैकुण्ठ के लिए भी निकल लिए हों या तैयारी में होंगे. लेकिन अब जो बचे हैं वो कांग्रेस पार्टी के गद्दार बिलकुल भी नहीं हैं. जब तक “पार्टी” को “व्यक्ति” के ऊपर वरीयता दी जाती थी तब तक समय समय पर गद्दार निकल आते थे लेकिन जब से “पार्टी” के ऊपर व्यक्ति को वरीयता दी गयी है या यों कहिये “कांग्रेस पार्टी” का अर्थ बदल कर “सोनिया पार्टी” हुआ है तब से पार्टी में एक भी गद्दार नहीं बचा, तो मजाल क्या जो किसी तरह के विरोध का स्वर सुनाई दे. वो वी पी सिंह टाइप के आदमी अब नहीं बचे किसी घोटाले का ढिंढोरा खुद ही पीटना शुरू कर दें. अब तो सब पार्टी नेताओं में कुर्बानी की भावना कूट कूट कर भरी है. चाहे कैसा ही घोटाला हो, कैसा भी निर्णय जो थोडा बहुत देश का अहित करता हो जिस से बस लाख दो लाख करोड़ का चूना देश को लगता हो, या कोई समझौता हो लेकिन कोई भी बात पार्टी के ऊपर नहीं आने दी जाती कोई न कोई महान व्यक्तित्व उस घोटाले को, उस निर्णय को अपने सर ले लेता है और बलिदान होने को तत्पर रहता है. ये है “पार्टी प्यार” या कहिये “सोनिया जी ” के लिए अकूत श्रद्धा. काश ये श्रद्धा वी पी सिंह या पी वी नरसिम्हाराव ने दिखाई होती………. पर अब जो नहीं रहे उन्हें याद करने से क्या फायदा.
वैसे भारत के इतिहास में गद्दारों के ऊपर एक अध्याय अलग से बन सकता है. और जब कांग्रेस में गद्दारों ने जनम लेना शुरू किया तो नीतिकारों को भारत का इतिहास याद आया की यदि समय समय पर कुछ लोगों ने देश के साथ गद्दारी नहीं दिखाई होती तो देश का इतिहास कुछ और होता यही सोचकर पार्टी के निति नियंताओं ने केवल उन लोगों को पार्टी में रखा जो किसी एक झंडे के तले समान रूप से रहें और एक दुसरे की कारगुजारियों और घोटालों को छुपाते हुए पार्टी का नाम उज्जवल करें. ऐसे लोगों को निकालने में देरी नहीं लगाई गई जिन्होंने “तोप के गोले” की आवाज़ से ज्यादा घोटाले का शोर कर दिया. अब देखिये कैग ने आपत्ति जताई है की जो नए हेलीकाप्टर अमेरिका से ख़रीदे हैं वो पुराने हैं और खतरनाक हैं लेकिन एक भी गद्दार की आवाज़ नहीं आई क्योंकि पार्टी में अब कोई गद्दार है ही नहीं, सब पार्टी भक्ति में लीन हैं कोई पुराने टाइप का होता तो बताइए हेलीकाप्टर से ज्यादा इस खरीद के प्रकरण को उडाता……….
ऐसा सुनहरी मौका हमारे देश में पहली बार आया है इस से ऐसा प्रतीत होता है की देश का आने वाला इतिहास भी अब स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा, अब इस तरीके के पार्टी भक्त लोग धीरे धीरे देशभक्त बन जायेंगे तो शायद देश का भी भला होने लगेगा. लोगों में कुर्बानी की भावना जन्म लेंगी जैसे अभी अभी पी जे थामस के केस में चव्हाड़ साहब बलिदान होने को तैयार हैं. स्प्रेक्ट्रम के केस राजाजी गद्दी छोड़ने को तैयार हो गए, कांग्रेसवेल्थ गेम्स में कलमाड़ी जी बलिदान हो गए. शशि थरूर ने बलिदान दिया …….. ये लिस्ट बहुत लम्बी है जो पार्टी के ऊपर कोई आंच नहीं आने देने के लिए अपने को कुर्बान करने को तैयार है. हालांकि अभी “अली हसन” वाले केस में किसी की कुर्बानी आनी बाकी है.
प्रधानमंत्रीजी तो मजबूर हैं जो केवल सोनिया भक्ति ओह नहीं पार्टी भक्ति ही कर पा रहे हैं अन्यथा राष्ट्रभक्ति उनमें भी कूटकूट कर भरी है जो सोनिया जी कहेंगी तो सिद्ध करके भी दिखायेंगे, अभी तो वो केवल माफ़ी मांगने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं ………पता नहीं क्यों ? ऐसी माफ़ी की क्या आवश्यकता आ पड़ी.
वास्तव में हमें कांग्रेस पार्टी से सीख लेनी चाहिए की किसी व्यक्ति की आराधना कैसे की जाती है, अपने आराध्य के ऊपर आने वाले आरोप प्रत्यारोपों को कैसे अपने ऊपर लेकर पार्टी का और आराध्य देव का हित किया जाता है. जब हमारे अन्दर ये भावना जन्म लेगी तभी हम देश को अपनी सेवायें दे पायेंगे और जैसा पहले भी हो चुका है की देश की धन सम्पदा विदेशी चुराकर ले गए अब हम उनको मौका नहीं देंगे इसलिए हम खजाना पहले ही खाली कर देंगे जिससे किसी विदेशी को खजाने में कुछ मिले ही नहीं. बस हमें आपस में सहयोग की भावना रखनी होगी और इस तरह के नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाना होगा जो पार्टी के विषय में गाहे-बगाहे उल्टा सीधा बोलने लगते हैं………!
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