my thoughts
- 40 Posts
- 40 Comments
बढ़ रहा है शोर कदम-तालो का ज्यो-ज्यो,
खामोश हो रही है सिसकियाँ,
पास आ रहे है जैसे जैसे विध्वंसक,
छ रही है दहशत,
हर एक मिसाइल के बाद,
माथे पर बल पड़ने लगते है,
चेहरे पर चमकाने लगती है-
पसीने की बूंदे,
सटा लेती है माएँ बच्चो को सीने से,
सुन विमानों की कान फाड़ देने वाली आवाजे,
घिर जाता है उनका मन किसी आशंका से,
और, गाडियों के और करीब आने पर,
वे सोचने लगती है,- “की क्या फिर किसी जंग की बरी है?”
क्योंकि वो ये जानती की ये तो बस,
गणतंत्र दिवस क तैयारी है………………..!
(अभिजीत साहू)
Read Comments