Menu
blogid : 949 postid : 113

चले आये इस्लामाबाद से

my thoughts
my thoughts
  • 40 Posts
  • 40 Comments

जब गए थे लाहौर बस से,
मिला कारगिल का तोफा था,
बुलाया आगरा में था तुझको,
तब संसद का मौका था,
चले आये इस्लामाबाद से,
अब न जाने होगा क्या?
लिखोगे कोई कहानी नई,
या दोहरोगे पुरानी दास्ताँ,
लगाओगे गले हमको या,
खंजर पीछे से उतारोगे ,
करोगे दोस्ती या हमसे,
फिर दुश्मनी निभाओगे,
चले आये इस्लामाबाद से हम,
न जाने तुम कब आओगे……………………….. © अभिजीत साहू

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh