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पेड़ की संवेदना

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सर्द हवाओ के बिच खड़ा एक नंगा पेड़,

मानो पूछ रहा हो मुझसे,

की बोलो -“क्या सिर्फ तुम्हे ही लगती है ठण्ड,

जो एक-एक कर ले गए तुम,

मेरे शारीर से नोंच कर,

गिद्धों की तरह छाल.

कर गए सूनी मेरी डालियाँ,

तोड़ कर पत्तियां, और चिडियों के घोसले,

ले गए कट कर फिर मेरी भुजाए,

जब चलने लगी, ठंडी और ठंडी हवाए.

बताओ तब क्या सिर्फ तुम्हे ही लगती है ठण्ड ?

मेरी तरह रहना पड़े जब तुम्हे भी,

दिन-रात खड़ा, अकेले इन हवाओ में,

सुबह से शाम तक पड़े ओढ़ना,

कभी कुहासे की तुझको चादर,

और, आये फिर मेरी तरह, तुम्हे भी,

करने कोई नंगा,

तब तुम जानोगे की,

एक पेड़ की संवेदना क्या होती है……………………..!

अभिजीत साहू
(9939195461)
abhijeet.sahu84@gmail.com

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