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ये है धरती पर असली भगवान के दूत

My Thoughts....मेरे विचार
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इस धरती पर यदा कदा ऐसे संतो का जन्म होता है, जो मानव जाती के लिए कुछ ऐसा कर जाते है, जिसका कर्ज हमारी आने वाली सैकड़ों पीढ़िया भी अपने कर्मो से चुका नहीं सकती है। जिस प्रकार से ईश्वर ने ये धरती बनाई है, और उसके अनुसार धरती पर हर अच्छे या बुरे का समान अधिकार है। उसी तरह संत की सात्विक वाणी या कर्मो पर हर अच्छे या बुरे का समान अधिकार होता है। और ऐसे सच्चे संतो के लिए मेरे मन मे अगाध श्रद्धा है और सर्वथा रहेगी। परंतु कभी- कभी एक अपरिपक्व और अंधविश्वास भरी सोच रस्सी को भी साँप समझ लेती है। आज हममे से ज़्यादातर लोग उसी का हिस्सा है। अक्सर हम उन नकली बाबाओ के चक्कर मे रहते है जिनकी हाथ की सफाई या गोलमोल बातों को हम अपने अंधविश्वास के कारण चमत्कार या ईश्वर की वाणी समझ लेते है। यही सोच कभी- कभी हमारी आंखो पर पर्दा डाल देती है जिसके कारण हम मनावता के उन रक्षको को भुल जाते जिन्हे हमारी पीढ़ियो को भी हमेशा याद रखना चाहिए। हर धर्म ने अपने- अपने महान संतो का विवरण किया है, परंतु मुझे लगता है कुछ संत ऐसे होते है जो धर्म से परे होते है। आप अक्सर बाबाओ के पास जाते है या उनके बारे मे सुनते है। आज के इस युग मे आप कभी ऐसे बाबा से मिले है या उनके बारे मे सुना है जिसने करोड़ो लोगो की जान सिर्फ अपने एक चमत्कार से बचा ली हो, और उनका यह चमत्कार जब तक मानव जाती रहेगी तब तक लोगो की जान बचाता रहेगा। शायद आपका उत्तर ना भी हो सकता है। परंतु मुझे लगता है आप ऐसे हजारो संतो को जानते है, और यदि मै ऐसे हर संत का विवरण करना चाहु तो शायद मेरा सम्पूर्ण जीवन भी कम पड़ेगा। मै उनमे से कुछ की ही बाते करूंगा, शायद उससे ही आप समझ जायंगे की मै क्या कहना चाहता हु। सबसे पहले एक संत की बात करूंगा जिनका जन्म 17 मई 1749 मे हुआ था। उन्होने ऐसा चमत्कार किया की सारी मानव जाती मिलकर भी उनकी पुजा करे तो कम है। उसका नाम था एडवर्ड जेनर जिन्होने सबसे पहले चेचक के टीके की खोज की थी और उनके इस चमत्कार के कारण आज हममे से करोड़ो लोग अपने जीवन का आनंद ले रहे है। यदि एडवर्ड जेनर नहीं होते तो आज सम्पूर्ण दुनिया के 1.5 करोड़ लोग प्रतिवर्ष सिर्फ चेचक के द्वारा काल के ग्रास बन रहे होते (रिफ्रेन्स: Smallpox and its Eradication, वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइज़ेशन) । यह बड़ी विडम्बना है की आज हममे से ज़्यादातर को इस संत का नाम भी याद नहीं होगा। यहा मै मनुष्य के दोगलेपन की बात भी बताना चाहूँगा की चेचक के टीके के पहले वह किस प्रकार देवताओ की पुजा करता था। हिंदुस्तान मे शीतला माता की पुजा विशेष रूप से चेचक से बचने के लिए की जाती थी। उसी प्रकार जापान मे चेचक से बचने के लिए छेंजे हचिरो (Chinzei Hachiro) की तस्वीर को दीवार मे लटकाया जाता था। चाइनिस लोग देवी ताऊ-शेन नियांग-नियांग (T’ou-Shen Niang-Niang) की पुजा करते थे तथा अफ्रीका मे सोपोना भगवान की पुजा की जाती थी। परंतु जिस एडवर्ड जेनर जैसे संत ने हमे इस घातक बीमारी से हमेशा के लिए निजात दिलाया उसका तो हमे नाम भी याद नहीं है। अठारहवी और उन्नीसवी सदी मे हजारो लोग सिर्फ हैजा नामक बीमारी से काल के ग्रास बन जाते थे परंतु वल्डेमर हफ़्फ़्किने ने अपने प्रयास और तपष्या से एक इससे बचने का वरदान हमे दिया। वर्ष 1918 मे 2 करोड़ लोग सिर्फ इंफ्लुएंजा नामक बीमारी से काल के ग्रास बन गये थे, किन्तु एक संत डॉ थॉमस फ्रांसिस और उनके समूह ने अपने अथक प्रयास से मानव जाती को इससे बचने का वरदान दिया। अठारहवी सदी के पहले बिजली एक चमत्कार था, परंतु माइकल फराडे नामक संत ने इस चमत्कार की वास्तविकता हमे प्रदान की और ऐसा वरदान दिया जिसका फल जब तक मानव जाती रहेगी तब तक उसे मिलता रहेगा। थॉमस अल्वा एडीसन और ना जाने कितने ऐसे अनेकों है नाम है जिन्होने इस संसार मे रहने वाली ना सिर्फ मानव जाती अपितु पशु और कीटो की जीवन रक्षा के लिए भी अनेकों चमत्कार किए जो आज हम सभी के लिए वरदान है, और रहेंगे। मुझे लगता है की सही मायने मे इस युग के धरती पर भगवान के दूत यही लोग है । ये वो ईश्वर के दूत है, जिन्होने इस कठिनाई भरे धरती के जीवन मे हमे स्वर्ग की अनुभूति प्रदान की है। हो सकता है आप मुझसे सहमत ना हो, तो मै आपसे कहना चाहूँगा एक बार अपने और अपने बच्चो और माता पिता तथा जिन्हे भी आप प्यार करते है उनके जीवन को, इन संतो द्वारा दिये गए वरदानो से अलग करके देखे, तो क्या आपको आपका जीवन उसी तरह दिख रहा है जिस तरह अभी है। याद रखिए हम अक्सर ईश्वर से कहते है की हम अज्ञानी है हमे माफ करना, और वह हमे माफ भी करता है। परंतु हम उसी अज्ञानता के कारण कभी- कभी ईश्वर के उस हाथ को भूल जाते है जो हमारे सिर पर जीवन रूपी छाया बनकर सर्वथा रहता है, और उसका माध्यम यही लोग है। चलो आज मिलकर हम कुछ सोचते है और कुछ बताते है, अपने उन नवनिहालों को की असली संत कोन है। और मै पूरे दावे के साथ कह सकता हु की यदि आपके बच्चो ने इन संतो के मार्ग का एक प्रतिशत भी अनुसरण कर लिया तो यह आपको माता पिता की उस श्रेणी मे ला देगा जिसकी अनुभूति की चाहत माता पिता को रहती है।

जय हिन्द
अजय सिंह नागपुरे

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