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कबूल

narayani
narayani
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” कबूल “
तेरे बागो का थी, मैं एक सुंदर फूल
काँटों से बचाया ,सहेजा तूने मुझे
कभी न चुभने दिए शूल …….
गुलाबो सी महकती रही थी
गुलालो सा उड़ता रहा गुल
चहकती रही ,फुदकती रही
तेरी प्यारी बुलबुल …
कितना सुकून ,सुख था
तेरी गोदी का झुलना झूल ….
दे दिया अपने सुंदर फुल को
किसी और कुल ….
नकार दिया न किया स्वीकार
झाड़ दिया समझ कर धूल ….
ऐ मेरे प्यारे बाबुल ……
एक अर्जी मेरी कर कबूल …..
अब जब जन्म लू तेरे घर
फिर ना करना ऐसी भूल ….
न देना मुझे किसी को
जहा तेरे प्यार की कीमत न हो
न करे जो तेरे प्यारे से फूल को
प्यार से कबूल ……….

नारायणी

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