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जनता अब तो जागो- एकता व बुलंद हौसलों से बढ़कर कोई शक्ति नहीं
हमारे देश की जनता आखिर कब चेतेगी, कब तक इन राजनीतिज्ञों की सियासी चालों का शिकार होती रहेगी। मुजफ्फरपुर के दंगों में जिस तरह राजनीतिज्ञों के हाथ होने व भड़काउ भाषण देने की बातें सामने आ रहीं हैं। उससे तो साफ लगता है कि ये नेता अपनी कुर्सी के लिये कुछ भी कर सकते हैं। निर्दाेष लोगों आपस में लड़वा सकते हैं, अशांति, नफरत फेला सकते हैं, यहां तक कि मरवा भी सकते है। यह राजनीति का सबसे बुरा पहलू है। उ0 प्र0 में जिस तरह अल्पसंख्यकों के वोट के लिये खींचतान मची हुई है, उसका कोई ओर-छोर नहीं है। ये लोग अल्पसंख्यकों के वोट के लिये इस कदर गिर जायेंगे , यह सोचा नहीं जा सकता है। जनता इन नेताओं को चुनती है कि वे उनका दुख, दर्द सुनेगें, उनके विकास के लिये कार्य करेगें। उन्हें शांति, सुकूनदायक व सुरक्षित माहौल प्रदान करेगें।लेकिन ये नेता बहुत आसानी से जनता के विश्वास को तार-तार कर देते हैं। यह दंगे भड़का कर, खून खराबा कर अशांति व वैमनस्य का साम्राज्य फेला कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं और कुछ नहीं।यह बहुत विकट स्थिति है। जनता किर्कत्यविमूढ़ जैसी हो गयी है। उसके विश्वास का आसन डगमगा गया है।
अब सब जनता के हाथ में ही है।अब भी समय है कि जनता चेत जाये, नींद से जागे और इन स्वार्थी नेताओं के बहकावे में आकर न लड़े बल्कि एकजुट होकर इन कुर्सी लोभियों को सबक सिखाये।जाति धर्म के नाम पर वोट मांगने वालों को सिरे से खारिज करे और उसे ही अपना बहूमूल्य वोट देकर जिताये, जो किसी एक धर्म, जाति के लोगों के विकास की बात न करके देश व देश के सभी नागरिकों के समान विकास व सुरक्षा की बात कहे और उन कार्याें को पूरा भी करे तभी वे नेता मुंह की खायेंगें और सुधरेगें, जो सिर्फ अपना फायदा देखते हैं,उन्हें जनता के दुख, दर्द और विकास से कोई लेना -देना नहीं होता।इन्हें सुधारना सिर्फ और सिर्फ जनता के हाथों में ही है।यदि हम अब भी धर्म, जाति, समुदाय में उलझे रहे तो ये नेता तो हमें लूटते रहेगें इसके साथ ही दूसरे देश भी हमारी लड़ाई -झगड़े का फायदा उठाकर फिर से हमारे उपर कब्जा कर लेगें । फिर से हम गुलाम हो जायेंगे और अब तो हमें गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिये कोई भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी भी नहीं है। अब हम हर एक – एक स्वतं़त्रता सेनानी बनना होगा और एकजुट होकर अपने देश के लोभी, स्वार्थी लोगों को सत्ता से दूर रखना होगा।एकता व बुंलद हौसलों से बढ़कर कोई शक्ति नहीं है।
नूपुर श्रीवास्तव
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