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आजकल ज्यादातर मां के मुंह से यही सुनने को मिलता है कि मेरा बच्चा कुछ नहीं खाता क्या बताऊं जी मैंने तो सब ट्राई कर लिया लेकिन यह फिर भी कुछ नहीं खाता। ऐसा ही एक उदाहरण है मेरी बहन सुनीता उनकी शादी के 12 साल बाद बेटी का जन्म हुआ लेकिन बेटी के आने से पहले ही बड़े बूढ़ों की सलाह, कुछ किताबें, कुछ यूट्यूब उन्होंने बहुत सारा ज्ञान इकट्ठा कर लिया था।
जब उनकी गुड़िया निशु इस दुनिया में आई तो सोच लिया था कि हम पूरी कोशिश करेंगे वो सब कुछ खाए।जन्म के पहले 5 महीने तो उन्होंने बच्चे को सिर्फ मां के दूध पर रखा लेकिन वह जैसे ही छठे महीने में आई उन्होंने उसे थोड़ा बहुत चीजें देना शुरू किया जैसे सूप, दाल का पानी,घर का बना जूस और फिर सातवें महीने से उन्होंने उसका एक रूटीन बना दिया।
निशू सुबह 6:00 बजे उठ जाती है उठने के बाद वह बहुत बार दूध लेना पसंद नहीं करती क्योंकि रात भर उसने अपनी मां का फीड लिया होता है तो सुनीता उसे दूध से बनी कोई भी चीज देती है जैसे कि दूध बिस्किट, रागी,साबूदाना ,ओट्स जिससे कि दूध भी चला जाए और उसका पेट भी भर जाए फिर उसकी मालिश कर उसका नहाना और फिर गुड़िया कुछ देर के लिए सो जाती है।
दोपहर को दही चावल, दलिया, पोहा। शाम को 7:00 बजे barik kuti roti ki churi (दसवीं महीने से) शुरु में दाल का पानी और फिर दाल। इस तरह उन्होंने उसका एक रूटीन बनाया सुबह 7:00 बजे, 12:00 बजे और शाम को 7:00 बजे उसके तीन मील उन्होंने फिक्स कर दिए। बीच-बीच में दूध या फ्रूट वगैरह देना शुरू किया। जब निशु 1 साल की हुई तो उसने ना कहना सीख लिया और बस फिर क्या था फिर शुरू हुई असली मुसीबत। अब क्या करें????
तब सुनीता ने अपनाएं कुछ तरीके सुबह नाश्ते के समय उसे सुंदर सा बाउल में खाना दिया जिस पर कुछ चित्र बने हुए थे थोड़े दिन गुड़िया ने उसमें खाना पसंद किया और साथ-साथ उसे किसी ना किसी चीज में व्यस्त रखा जैसे कि डिब्बे में डिब्बा रखना, चाबी को किसी चीज में डलवाना, ब्लॉक। फिर दोपहर के समय उसे खाने के साथ टीवी देखने का मौका दिया जिसमें उसकी पसंद की कुछ राईम आती थी। टीवी देखते देखते वह अपना खाना खूब मजे से खाती और साथ साथ डांस भी करती। हर 20 दिन बाद सुनीता वह राईम बदल देती क्योंकि कुछ ही दिन में वह उनसे बोर हो जाती थी।
शाम को 6:00 से 7:00 उसको बाहर घुमाना शुरू किया। वॉकर चलाती और थक जाती 7:00 बजे उसे खाने की टेबल के ऊपर बिठा देती।एक थाली खाने की खुद लगाती एक थाली उसके आगे लगा देती जिसमें उसे यह सिखाया जाता कि उसे खुद कैसे खाना है शुरू में दिक्कत हुई लेकिन बाद में निशू ने कटोरी चम्मच पकड़ना शुरू कर दिया जो थोड़ा बहुत खाना उसे दिया जाता वह इधर-उधर फैंकती पर कुछ थोड़ा बहुत खा भी लेती। धीरे-धीरे उसे इस तरह खाने की आदत हो गई।
ढाई साल तक उन्होंने कुछ इस तरह से उसे खाने की आदत डाली। सबसे जरूरी बात उन्होंने उसे मोबाइल से बिल्कुल दूर रखा वह दोनों पति पत्नी बच्चे के सामने कभी भी मोबाइल इस्तेमाल नहीं करते।तो नतीजा यह हुआ कि 2 साल बाद निशू का मोबाइल में इंटरेस्ट ही खत्म हो गया। लेकिन हां उसे खाना खाते वक्त टीवी देखना पसंद है। कभी वह दादी के साथ बैठ भजन देखती है तो कभी अपनी फेवरेट अपनी पसंद की राईम्स।
आज निशू 6 साल की हो गई है सुनीता उसके खाने को लेकर बिल्कुल भी परेशान नहीं होती क्योंकि आज भी 3 मील उसके पक्के हैं सुबह जल्दी उठना उसे पसंद है और वैसे ही सुबह खाना भी। ये कुछ पर्सनल एक्सपीरियंस है। हो सकता है कि आपके बच्चे पर यह सब लागू ना हो पर हां आप कोशिश कर सकती हैं शायद यह टिप्स आपके कुछ काम आए आपको मेरा ब्लॉग कैसा लगा जरूर बताइएगा
डिस्क्लेमर: उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी दावे या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।
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