13th President of India: Pranab Mukherjee
आखिरकार आज देश के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने शपथ ले ही ली. संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित एक भव्य समारोह में मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया ने उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण के बाद प्रणब मुखर्जी द्वारा देश के नए राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करते ही 21 तोपों की सलामी दी गई.
प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति बनना तो तभी से तय था जब उन्हें यूपीए का समर्थन मिला और उसके बाद राष्ट्रपति चुनावों में मिली भारी जीत से साफ हो गया कि रायसीना हिल्स के राष्ट्रपति भवन में अगले पांच साल तक प्रणब दा का ही निवास रहेगा.
प्रणब ने अपने पहले भाषण में भारत की गरीबी और भ्रष्टाचार को दूर करने की बात की. यूं तो यह सभी जानते हैं कि यूपीए के काल में ही देश में भ्रष्टाचार की लाइनें लगी हैं और महंगाई आसमान छू रही है पर प्रणब दा के राष्ट्रपति बनने के बाद अब हो सकता है लोग यूपीए और प्रणब मुखर्जी को अलग-अलग करके देखना शुरू करें जो भारत के राष्ट्रपति की शान के लिए सही भी है.
संसद भवन जाने से पहले उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और अन्य महत्वपूर्ण नेताओं की समाधि पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
राष्टृपति पद की शपथ
‘मैं अमुक…….. ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं श्रद्धापूर्वक राष्ट्रपति पद के कर्तव्यों का निर्वहन सत्यनिष्ठा से करूंगा तथा अपनी पूरी योग्यता से संविधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करूंगा और मैं भारत की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूंगा.’
क्यूं बने प्रणब मुखर्जी ही राष्ट्रपति
मुखर्जी की अपनी पार्टी के भीतर व विपक्षी पार्टियों में भी एक साफ छवि बनी हुई है. जब सोनिया गांधी अनिच्छा के साथ राजनीति में शामिल होने के लिए राजी हुईं तब प्रणव मुखर्जी उनके प्रमुख परामर्शदाताओं में से एक थे. मुखर्जी की अमोघ निष्ठा और योग्यता ने उन्हें सोनिया गांधी के करीब लाने में सहायता की.
क्या है प्रणब मुखर्जी की पहली पसंद
एक ‘टिपिकल बंगाली’ के रूप में प्रणब मुखर्जी की पहली पसंद माछ-भात ही है, फिर चाहे दिल्ली हो या बंगाल. दोपहर के खाने में वह माछ-भात ही पसंद करते हैं. खासकर कोलकाता के ढाकुरिया स्थित अपने घर में जब भी वह ठहरते हैं, तो उनके खाने के लिए माछ-भात का ही इंतजाम किया जाता है. प्रणब दा जब भी प्रदेश पार्टी मुख्यालय आते हैं और दोपहर के भोजन का वक्त हो जाता है, तो उनके लिए माछ-भात का ही प्रबंध किया जाता है. प्रणब दा प्रत्येक बंगाली की तरह रवींद्र संगीत के भी शौकीन हैं. फुर्सत के समय में वह रवींद्र संगीत ही सुनते हैं. उनके करीबियों का कहना है कि उन्हें कभी-कभार एकांत में रवींद्र गीत गुनगुनाते भी देखा गया है.
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