वो दिन भी हर दिन की तरह सामान्य-सा था। संसद में ताबूत घोटाले पर चर्चा चल रही थी इस घोटाले को लेकर संसद में काफी बहस चली, जिसके चलते संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
क्या था ताबूत घोटाला
करगिल युद्ध के वक्त सरकार ने 2,500 डॉलर लगाकर 500 ताबूत खरीदे थे। हर ताबूत पर 13 गुणा ज्यादा पैसे खर्च किए गए थे। उस वक्त प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी, रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिज़ और 3 बड़े आर्मी अफसर पर घोटाले का आरोप लगा। जिसे ताबूत घोटाले के नाम से जाना जाता है।
11 बजकर 40 मिनट पर संसद के गेट नम्बर 12 से घुसे आंतकी
आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्म द के पांच आतंकी 13 दिसंबर 2001 को सुबह करीब 1140 बजे डीएल-3सीजे-1527 नंबर वाली अंबेसडर कार से संसद भवन के परिसर में गेट नंबर 12 की तरफ बढ़े। गृह मंत्रालय और संसद के लेबल वाले स्टीेकर गाड़ी पर लगे होने के कारण प्रवेश मिल गया।साथ ही आंतकियों ने सेना की वर्दी पहनी हुई थी। उससे ठीक पहले लोकसभा और राज्यगसभा 40 मिनट के लिए स्थगित हुई थी और माना जाता है कि तत्कारलीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब 100 संसद सदस्य उस सदन में मौजूद थे। संसद परिसर में घुसकर आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी थी।
सबसे पहले एक महिला कॉस्टेबल ने आंतकी को देखा
सबसे पहले सीआरपीएफ की कांस्टेिबल कमलेश कुमारी ने आतंकियों को देखा और तत्काल अलार्म बजा दिया। इसके बाद आतंकियों ने उस पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। आतंकियों की फायरिंग में उनकी मौत हो गई। इसके बाद एक आतंकी को गोली मारी गई, लेकिन उस आतंकी ने अपनी कमर से विस्फोटक सामग्री बांध रखी थी। गोली लगने से उसमें विस्फोट हो गया। इसके बाद सुरक्षा बलों ने आतंकियों से लौहा लेते हुए सभी को मौत के घाट उतार दिया। कमलेश कुमारी ने अपनी जान गंवाकर भी कई लोगों की जान बचा ली।
45 मिनट तक चली मुठभेड़
करीब 45 मिनट तक चली इस मुठभेड़ में जवानों ने आंतकियों की नापाक साजिश को पूरी तर दिल्ली पुलिस के नानक चंद, रामपाल, ओमप्रकाश, बिजेन्द्र सिंह और घनश्याम तथा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कांस्टेबल कमलेश कुमारी और संसद सुरक्षा के दो सुरक्षा सहायक जगदीश प्रसाद यादव और मातबर सिंह नेगी इस हमले का बहादुरी से सामना करते हुए शहीद हो गए थे। इस हमले में एक कर्मचारी देशराज भी शहीद हुए थे। अध्यक्ष ने कहा कि यह सभा उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती है जिन्होंने संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी, साथ ही इनके परिवारों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करती है।
भारत-पाकिस्तान के बीच चला था तनाव
भारतीय संसद पर हमले के बाद भारत-पाकिस्ताहन तनाव चरम पर पहुंच गया था और भारत ने पश्चिमी मोर्चे पर सैन्यन गतिविधियों को बढ़ा दिया था। इस हमले की साजिश रचने वाले अफजल गुरु को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा थी, जिसकी दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज करने के बाद 9 फरवरी 2013 को गुरु को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी….Next
Read More :
10 मिनट के इस टेस्ट में पता चलेगा कैंसर है या नहीं, ऐसा करेगा ये काम
डिजिटल नोट लाने पर सरकार कर रही है विचार, जानें क्या होगा खास
Read Comments