पहले ए. राजा, फिर कनिमोझी उसके बाद कलमाड़ी और ताजातरीन अंदर गए अमर सिंह के जाने से भारत की सबसे प्रसिद्ध जेल तिहाड़ की तो जैसे चांदी हो गई है. लेकिन यह लिस्ट थोड़ी और लंबी होने की उम्मीद जताई जा रही है. हाल ही में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गृह मंत्री चिदंबरम भी घिरते नजर आ रहे हैं और अगर सब कुछ यूं ही चलता रहा तो वह भी अंदर जा सकते हैं.
चिदंबरम की मुश्किलें
2 जी घोटाले में अब एक नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट में पेश कुछ ताजा दस्तावेज बताते हैं कि कंपनियों को सस्ती कीमत पर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन का फैसला तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम की सहमति से हुआ था. इस बात की सूचना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस वर्ष मार्च में वित्त मंत्रालय की ओर से भेजे गए एक नोट में भी दी गई है. नोट में यह भी कहा गया है कि वर्तमान वित्त मंत्री की जानकारी में ये तथ्य 5 जनवरी, 2011 को आए जब उन्हें कैबिनेट सचिव को भेजी गई प्रति अग्रसारित हुई.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस नोट का आधार तत्कालीन संचार मंत्री ए. राजा और तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम के बीच हुई बैठकें व अंतर विभागीय पत्राचार हैं. 2008 में हुई इन बैठकों का तिथिवार ब्योरा देते हुए नोट में बताया गया है कि तत्कालीन संचार मंत्री और तत्कालीन वित्ता मंत्री कंपनियों को 2001 की पुरानी कीमत के आधार पर ही लाइसेंस आवंटित करने के लिए राजी थे.
दस्तावेजों में यह जिक्र भी है कि तत्कालीन वित्त सचिव ने फरवरी 2008 में यह सुझाव दिया था कि स्पेक्ट्रम बेचने के लिए नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जाए, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया.
इस तरह उलझे चिदंबरम
जनवरी 2008: कीमतों को लेकर राजा और चिदंबरम की बैठक, चिदंबरम ने एंट्री फीस की पुरानी प्रणाली के तहत स्पेक्ट्रम आवंटन का पक्ष लिया. राजा का रुख भी यही था.
फरवरी 2008: नीलामी के जरिए स्पेक्ट्रम आवंटन का तत्कालीन वित्त सचिव का सुझाव खारिज.
जुलाई 2010: संसद की लोक लेखा समिति को भी दी गई थी इस बात की जानकारी.
25 मार्च 2011: वित्त मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को नोट भेजकर कीमतें तय करने में चिदंबरम के शामिल होने की जानकारी दी.
21 सितंबर 2011: वित्त मंत्रालय का नोट और राजा व चिदंबरम की मीटिंग के मिनट्स सुप्रीम कोर्ट में पेश.
इस तरह तो अब यही लगता है कि मधु कोड़ा, ए. राजा, कलमाड़ी, कनिमोझी के बाद अब कांग्रेस के सबसे तेज तर्रार नेता चिदंबरम भी तिहाड़ में नजर आ सकते हैं. वैसे यह तो सिर्फ शुरूआत है. अगर अगले चुनावों में भाजपा जीत गई और उसने सभी घोटालेबाजों को अंदर करने का फैसला कर लिया तो उम्मीद है तिहाड़ दूसरी संसद के तौर पर देखी जाए.
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