कहते हैं पढ़ाई की उम्र नहीं होती, कभी भी कुछ सीखने को मिले तो इंसान को उसे सीख लेना चाहिए. इस कहावत को सही साबित कर रहे हैं नेपाल के रहने वाले दुर्गा कामी जिन्होंने दुनिया की परवाह ना करते हुए वो कर दिखाया, जो शायद ही उनकी उम्र में कोई करने की सोच सकता है.
नेपाल के रहने वाले दुर्गा भले ही डंडे के सहारे चलते हो, लेकिन उनका जोश किसी 15 साल के बच्चे से कम नहीं है. तभी तो उन्होंने इस उम्र में एक बार फिर से किताब-कॉपी को अपनी जिंदगी में जगह दी है. जिस उम्र में लोग रिटायर होकर घर पर बैठ जाते हैं, उस उम्र में दुर्गा ने पढ़ाई को चुना और करीब 1 घंटे पैदल चलकर स्कूल पहुंचते हैं, तथा अपनी उम्र से आधे बच्चों के साथ पढ़ाई करते हैं.
दुर्गा की पत्नी अब इस दुनिया में नहीं है और उनका कहना है कि, ‘पत्नी का ना होना उन्हें खलता है, अकेले रहने से अच्छा है मैं वो करूं जो मैं बचपन से करना चाहता था.’ दरअसल दुर्गा बचपन से ही शिक्षक बनना चाहते थे, लेकिन गरीबी के कारण उनका यह सपना अधूरा रह गया था. इसलिए अब उन्होंने एक बार फिर से शिक्षा को चुना ताकि वो अपनी मंजिल को पा सके.
Read: लड़की का यह उत्तर पढ़ शिक्षक हुआ शर्मसार
दुर्गा बताते हैं, उनके कुल 6 बच्चे और आठ नाती-पोते हैं, लेकिन वो अकेले रहते हैं. स्कूल के बच्चे दुर्गा को प्यार से “बा” कहते हैं, जिसका नेपाली में मतलब “पिता” होता है. दुर्गा हर उस गतिविधि में हिस्सा लेते हैं, जो स्कूल में कराई जाती है फिर चाहे वो खेलकूद ही क्यों ना हो. दुर्गा कहते हैंं ‘मैं जिंदगी के आखिरी क्षण तक पढ़ाई करना चाहता हूं ताकि शिक्षा को बढ़ावा मिले. अगर लोग मुझे पढ़ते देखेंगे तो जरूर प्रोत्साहित होंगे.’ वहीं दुर्गा के इस सपने को पूरा करने में स्कूल प्रशासन और शिक्षक अहम भूमिका निभा रहा है.
दुर्गा को किताबें, स्कूल बैग और यूनिफॉर्म सब कुछ स्कूल की ओर से मिला है. शिक्षक भी उनके इस जज्बे को देखकर उन्हें प्रोत्साहित करते हैं. स्कूल के एक टीचर कहते हैं, ‘अपने पिता के उम्र के किसी स्टूडेंट को पढ़ाने का मेरे लिए एक नया अनुभव है, लेकिन मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं.’… Next
Read More:
भारत के इस गांव की कहानी पढ़ाई जाती है विदेश के स्कूलों में, ये हैं खास बातें
Read Comments