राजस्थान के बहरोड जिले ने शिक्षा के क्षेत्र में कोई खास मुकाम नहीं हासिल किया है. पर इस जिले का एक गांव अपने एक खास विद्यार्थी के कारण देशभर के अखबारों की सुर्खियों में जगह बना रहा है. गांव का नाम है खोहरी और इस विद्यार्थी का शिवचरण यादव.
गांव के हनुमान मंदिर में बैठे किताबों से जूझ रहे शिवचरण यादव को देखकर एकबारगी आप सोचेंगे की शायद वे किसी धार्मिक पुस्तक का अध्ययन कर रहे हैं, पर सच्चाई यह है कि जिन किताबों से शिवचरण जूझ रहे हैं वे दसवीं की है. अब आपको शिवचरण की उम्र बताते हैं इनकी उम्र है 81 साल और वे 46वीं बार दसवीं की परीक्षा दे रहे हैं. पिछले 45 साल से वे दसवीं पास करने की असफल कोशिश कर रहे हैं पर अबतक हिम्मत नहीं हारी. अब आप दसवीं पास करने की उनके जिद की वजह को जानेंगे तो और भी चौंक जाएंगे.
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वर्षों पहले शिवचरण ने कसम खाई थी कि वे शादी करेंगे तो दसवीं पास करने के बाद ही. दसवीं पास दूल्हा बनने के ख्वाब में उम्र ढ़लती गई और आंख, कान व शरीर के अंगों ने साथ देना छोड़ दिया है, लेकिन जज्बा व जुनून अभी भी बरकरार है, बनूगां तो दसवीं पास दूल्हा, वरना शादी ही नहीं करूंगा. कोर्स और सिलेबस बदलते गए, लेकिन नहीं बदला तो इनका दसवीं पास करने का जज्बा.
बढ़ती उम्र के साथ शिवचरण ने दुल्हन पाने का ख्वाब तो छोड़ दिया है पर मैट्रिक की परीक्षा पास करने की आश अबतक नहीं छोड़ी. शिवचरण के परिवार में कोई नहींं है और अजीविका के लिए वे मनरेगा के तहत काम करते हैं. गांव का हनुमान मंदिर ही शिवचरण का स्थाई पता है. एक बार फिर हनुमान जी की शरण में रहकर शिवचरण परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं पर अबकी बार भी उन्हें सफलता मिलेगी या नहीं यह तो आने वाला परीक्षाफल ही बताएगा. बहरहाल हमारी ओर से शिवचरण को परीक्षा के लिए ढ़ेरों शुभकामनाएं.Next…
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