आधुनिक युग में वक्त के साथ युवाओं के सपने भी काफी आगे निकल चुके हैं. उन्हें अपने जीवन में हर सुख-सुविधा हर हाल में चाहिए. जिसे पाने के लिए अगर उन्हें अपना देश भी छोड़ना पड़े तो भी वो पीछे नहीं हटते. ये बात किसी से छुपी नहीं है कि बीते कुछ दशकों में हमारे देश के युवाओं का रूख विदेशों की ओर तेजी से बढ़ रहा है. लोग अपने देश की समस्याओं को हल करने में नहीं बल्कि समस्याओं से भरे देश को छोड़ना ज्यादा पसंद करते हैं. युवाओं का रवैया भी देश के प्रति उदासीन ही नजर आता है.
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लेकिन दूसरी तरफ देश में कुछ विरले लोग ऐसे भी हैं जो इन बातों को दरकिनार करते हुए देश को अपनी सुख-सुविधा से ऊपर रखते हैं. एक 37 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने विदेश में अपनी शाही जीवनशैली को छोड़कर किसानों के लिए ऐसा काम कर दिखाया, जिसे देखकर सभी हैरान हैं. मूल रूप से कर्नाटक के मंड्या के रहने वाले मधुचंदन ने जब विदेश में रहते हुए, अपने गांव की आत्महत्या से जुड़ी हुई खबरें सुनी तो वो अंदर से हिल गए. उन्हें लगा कि वो यहां विदेश में आकर चैन से जीवन गुजार रहे हैं जबकि उनके देश के किसान रोटी-रोटी के मोहताज हो रहे हैं.
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इसके बाद तो मधुचंदन ने सिर्फ अपने दिल की सुनी. और महज 13 महीनों की मेहनत में 300 किसानों के जीवन को बदल कर रख दिया. उन्होंने सबसे पहले वहां का दौरा करके देखा कि किसानों के द्वारा आत्महत्या करने की मुख्य वजह खेती के पुराने तरीकों को अपनाना है. उन्होंने ग्रामीण सहकारी उद्यम खोलकर किसानों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है. जिसके बाद किसानों को नई उम्मीद मिली. मधुचंदन के काम करने के तरीके को देखते हुए 36 करोड़ रूपए के टर्नऑवर की उम्मीद की जा रही है…Next
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