कश्मीर का मुद्दा एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है जिसे मुख्य दर्जे की राजनीतिक पार्टियां छेड़ने से कतराती हैं. वहां अगर भ्रष्टाचार आंदोलन के गर्भ से निकली आम आदमी पार्टी इस तरह की हिमाकत करती भी है तो उसे जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा. आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने जम्मू और कश्मीर में सेना तैनाती को लेकर जनमत संग्रह संबंधी बयान क्या दिया नाराज हिंदू रक्षक दल के सदस्यों ने बुधवार को कौशांबी स्थित पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ और नारेबाजी की.
गौरतलब है कि बीते रविवार को वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक टीवी कार्यक्रम में कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा के लिए सेना की तैनाती पर कश्मीरी लोगों से जनमत संग्रह की हिमायत की थी. हालांकि इस मामले में आम आदमी पार्टी ने प्रशांत भूषण के बयान से खुद को किनारा कर लिया था और कहा था कि आंतरिक सुरक्षा के मामलों में जनमत संग्रह की जरूरत नहीं है.
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खबरों के मुताबिक बुधवार सुबह 11 बजे हिंदू रक्षा दल के लगभग दो दर्जन सदस्य लाठी-डंडे से लैस होकर ‘आप’ कार्यालय परिसर में घुस आए और तोड़फोड़ शुरू कर दी. वे प्रशांत भूषण और आप पार्टी के खिलाफ नारे लगा रहे थे. उधर प्रशांत भूषण के बयान को लेकर जम्मू में शरद पवार की पार्टी एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन और भूषण पर कानूनी कार्रवाई करते हुए गिरफ्तारी की मांग की.
वैसे यह पहला मामला नहीं है जब आम आदमी पार्टी के बड़े नेता प्रशांत भूषण ने इस तरह की बयानबाजी की हो. प्रशांत भूषण ने 24 सितंबर, 2011 को वाराणसी में संवाददाताओं से कहा था कि कश्मीर में स्थिति को सामान्य बनाया जाना चाहिए. वहां के लोगों को जीने का हक मिलना चाहिए. सेना और आर्म्ड फोर्सेस को कम करना चाहिए. हमें कोशिश करनी चाहिए कि वहां के लोग हमारे साथ आ पाएं. इसके बाद भी अगर वो साथ नहीं आना चाहते हैं तो कश्मीर में जनमत संग्रह हो सके तो ज्यादा अच्छा है और अगर कश्मीर के लोग अलग होना चाहते हैं तो अलग होने देना चाहिए.
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इस बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट के ठीक सामने बने न्यू लॉयर्स चैम्बर स्थित प्रशांत भूषण के चैम्बर में श्रीराम सेना नामक एक संगठन से जुड़े कुछ लोगों ने उनके साथ मारपीट की. बताया जाता था कि इन युवकों ने जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की भूषण की टिप्पणी के विरोध में उन पर यह हमला किया.
अब यहां सवाल उठता है कि जिस पार्टी ने हाल के दिनों में पूरे देश को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाई हो उसे भ्रष्टाचार को छोड़कर दूसरे संवेदनशील मुद्दों पर किस तरह से बयान देने चाहिए, आखिर क्यों नहीं पता? खुद को राष्ट्रीय पटल पर और लोकसभा चुनाव में एक बड़ी पार्टी बनने का दावा ठोक रही ‘आप’ का राजनीतिक सफर क्या भ्रष्टाचार के ईर्द-गिर्द ही रहने वाला है. जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा आदि पर वही आम जनता उससे अपनी राय देने को कहेगी जिसकी बदौलत आज वह दिल्ली में सत्ता का सुख भोग रही है, तब क्या वह वहां भी प्रशांत भूषण की तरह जवाब देकर अपनी किरकिरी करवाएगी!!
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