कुछ महीने पहले समाजसेवी अन्ना हजारे जन लोकपाल बिल के लिए जिन राजनीतिक पार्टियों के साथ दो-दो हाथ कर रहे थे उसमें अब अरविंद केजरीवाल की ‘आम आदमी पार्टी’ भी शामिल हो चुकी है. भले ही जब से अरविंद की पार्टी का गठन हुआ है लोग इस पार्टी को अपना समर्थन दे रहे हों लेकिन अन्ना हजारे अभी भी अरविंद द्वारा पार्टी बनाए जाने के मुद्दे पर खफा हैं. एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम ‘एजेंडा आज तक’ में हिस्सा लेते हुए अन्ना ने अरविंद केजरीवाल से अपने रिश्ते के बारे में खुलकर चर्चा की.
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अन्ना ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के सत्ता और लालच की वजह से भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में दरार पड़ी. उन्होंने कहा कि केजरीवाल के साथ जुड़े लोग सत्ता के लालची हैं, ऐसे में मैं उनका समर्थन नहीं कर सकता. अन्ना का मानना है कि अन्य पार्टियों की तरह अरविंद की पार्टी भी पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा हासिल करने के लिए राजनीति में प्रविष्ट हुई है. वह मानने को तैयार नहीं हैं कि जिस पार्टी का संबंध राजनीति से है उसका संबध पैसे से नहीं हो सकता. जनलोकपाल आन्दोलन का मुख्य चेहरा रहे अन्ना हजारे को एहसास हो चुका है कि अरविंद केजरीवाल सत्ता के लालच की वजह से ही उनसे दूर हुए.
अन्ना हजारे ने कहा कि पहले उनका इरादा था कि अरविंद केजरीवाल का समर्थन करें, लेकिन अब तो वोट देने पर भी विचार करना पड़ेगा. उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर केजरीवाल के खिलाफ किसी तरह की गड़बड़ी का आरोप लगता है, तो वह उनके खिलाफ भी आंदोलन करेंगे. अन्ना पहले भी अलग-अलग मंचों के माध्यम से अरविंद केजरीवाल पर राजनैतिक महत्वाकांक्षा को लेकर हमला बोल चुके हैं.
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हालांकि उन्होंने बाद में यह भी कहा है कि अगर केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हैं और साफ प्रतिनिधियों को चुनते हैं तो अन्ना उनके साथ हैं. अन्ना ने कहा कि सरकार सिर्फ जनता से डरती है. अन्ना ने अपने अंदाज में कहा कि जनता और समाज की सेवा ही मानवीय उद्देश्य है और देश को बदलना है तो पहले गांव को बदलो. अन्ना ने कहा कि रामलीला मैदान से वो एक बार फिर बड़ा आदोलन खड़ा करेंगे और उन्हें उम्मीद है कि अगले डेढ़ साल में फिर से आंदोलन उठ खड़ा होगा.
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