देश की चर्चित मर्डर मिस्ट्री में से एक आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से दोषी ठहराए गए आरुषि के पिता राजेश तलवार और माता नूपुर तलवार को बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में माना कि राजेश और नूपुर ने हत्याकांड को अंजाम नहीं दिया है। वहीं, इसके पहले ट्रायल कोर्ट ने दोनों को हत्याकांड का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा दी थी। आइये आपको बताते हैं कि हाईकोर्ट ने क्यों तलवार दंपति को संदेह का लाभ दिया और किस आधार पर ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था।
इन आधारों पर हाईकोर्ट ने दिया संदेह का लाभ
– इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि वारदात के दौरान दोनों का घर में होना उनके दोषी होने का सबूत नहीं है।
– परिस्थिति से पैदा हुए सबूतों की कड़ी से कड़ी को सीबीआई साबित नहीं कर पाई।
– कोर्ट ने कहा, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से आरोप साबित नहीं होता।
– राजेश और नूपुर को हत्याकांड को अंजाम देते हुए किसी ने नहीं देखा, इसलिए संदेह का लाभ मिला।
– घटनाक्रम का तारतम्य इतना पुख्ता नहीं है कि इन्हें हत्या का दोषी करार दिया जा सके।
– जिस फ्लैट में वारदात हुई, उसमें किसी तीसरे व्यक्ति के होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट की इस थ्योरी को नहीं माना कि फ्लैट में किसी तीसरे व्यक्ति के आने की संभावना नहीं है, इसलिए हत्या राजेश और नूपुर ने की है।
– हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने अपनी जांच में ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए।
– कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिपादित कानूनी सिद्धान्तों के मुताबिक, तलवार दंपति का केस संदेह का लाभ देने के लिहाज से सही केस है। क्योंकि जिन मामलों का आधार परिस्थितिजन्य सबूत होते हैं, आरोपी संदेह के लाभ का हकदार होता है।
इन आधारों पर ट्रायल कोर्ट ने ठहराया था दोषी
– क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ की गई और कोई बाहरी ऐसा नहीं कर सकता। आरुषि के कमरे का दरवाजा सिर्फ चाबी से खोला जा सकता था।
– आरुषि और हेमराज के साथ आखिरी बार तलवार दंपति को देखा गया था। उन्हें वारदात की रात साथ में देखा गया था और किसी बाहरी व्यक्ति के घर में दाखिल होने के कोई संकेत या सबूत नहीं मिले।
– आरुषि और हेमराज के शरीर पर एक जैसे घाव पाए गए थे, जो गोल्फ स्टिक के लगते थे। वहीं, तलवार दंपति की एक गोल्फ स्टिक छिपाई गई थी।
– आरुषि के वेजाइनल डिस्चार्ज से यह पता चल रहा था कि हत्या की रात उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए थे। इससे यह संदेह हो रहा था कि आरुषि और हेमराज उस रात शारीरिक संबंध बना रहे थे। इसे देख गुस्से में दोनों की हत्या कर दी गई। वहीं, राजेश के भाई दिनेश ने फोरेंसिक टीम से रिपोर्ट में डिस्चार्ज की बात का जिक्र न करने को कहा था…Next
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तलवार दंपति को इसलिए मिला संदेह का लाभ, जानें किन आधारों पर ट्रायल कोर्ट से मिली थी सजा
देश की चर्चित मर्डर मिस्ट्री में से एक आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से दोषी ठहाराए गए आरुषि के पिता राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में माना कि राजेश और नूपुर ने हत्याकांड को अंजाम नहीं दिया है। वहीं, इसके पहले ट्रायल कोर्ट ने दोनों को हत्याकांड का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा दी थी। आइये आपको बताते हैं कि हाईकोर्ट ने क्यों तलवार दंपति को संदेह का लाभ दिया और किस आधार पर ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी माना था।
इन आधारों पर हाईकोर्ट ने दिया संदेह का लाभ
– हाईकोर्ट ने कहा कि वारदात के दौरान दोनों का घर में होना उनके दोषी होने का सबूत नहीं है।
– कोर्ट ने कहा, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से आरोप साबित नहीं होता।
– परिस्थिति से पैदा हुए सबूतों की कड़ी से कड़ी को सीबीआई साबित नहीं कर पाई।
– घटनाक्रम का तारतम्य इतना पुख्ता नहीं है कि इन्हें हत्या का दोषी करार दिया जा सके।
– जिस फ्लैट में वारदात हुई, उसमें किसी तीसरे व्यक्ति के होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट की इस थ्योरी को नहीं माना कि फ्लैट में किसी तीसरे व्यक्ति के आने की संभावना नहीं है, इसलिए हत्या राजेश और नूपुर ने की है।
–कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिपादित कानूनी सिद्धान्तों के मुताबिक, तलवार दंपति का केस संदेह का लाभ देने के लिहाज से सही केस है। क्योंकि जिन मामलों का आधार परिस्थितिजन्य सबूत होते हैं, आरोपी संदेह के लाभ का हकदार होता है।
इन आधारों पर ट्रायल कोर्ट दोषी करार दिया था
–क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ की गई और कोई बाहरी ऐसा नहीं कर सकता। आरुषि के कमरे का दरवाजा सिर्फ चाबी से खोला जा सकता था।
–आरुषि और हेमराज के शरीर पर एक जैसे घाव पाए गए थे, जो गोल्फ स्टिक के लगते थे। वहीं, तलवार दंपति की एक गोल्फ स्टिक छिपाई गई थी।
–आरुषि के शरीर से वजाइनल डिस्चार्ज से यह पता चल रहा था कि हत्या की रात उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए थे। इससे यह संदेह हो रहा था कि आरुषि और हेमराज उस रात शारीरिक संबंध बना रहे थे। इसे देख गुस्से में दोनों की हत्या कर दी गई। वहीं, राजेश के भाई दिनेश ने फोरेंसिक टीम से रिपोर्ट में डिस्चार्ज की बात का जिक्र न करने को कहा था।
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