नीरव मोदी का पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में किया गया 11,400 करोड़ रुपये का घोटाला सुर्खियों में है। नीरव देश से बाहर है, लेकिन उसके खिलाफ लगातार शिकंजा कसता जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को नीरव मोदी और उसकी कंपनियों की 9 महंगी कारें जब्त कीं। इसके अलावा नीरव के 7 करोड़ 80 लाख के और मेहुल चौकसी ग्रुप के 86 करोड़ 72 लाख रुपये के शेयर म्यूचुअल फंड फ्रीज कर दिए गए हैं। वहीं, घोटाले के बाद अब पंजाब नेशनल बैंक ने बैंक नियम में कुछ बदलाव किए हैं। आइये आपको बताते हैं कि पीएनबी ने नियम में क्या बदलाव किए हैं और उसका क्या असर पड़ेगा।
SWIFT के नियम किए सख्त
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैंक ने SWIFT यानि Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications के इस्तेमाल के नियम सख्त कर दिए गए हैं। अब केवल अधिकारी की Swift नेटवर्क को देखेंगे। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अब Swift की जानकारी क्लर्क स्तर के कर्मचारियों को नहीं होगी। मैसेज जनरेट करने, वेरिफाई करने और उसे अॉथराइज करने वाले तीन अलग-अलग अधिकारी होंगे। अभी तक दो अधिकारी या क्लर्क इसे जनरेट करते थे।
मुंबई में एक नई ट्रेजरी डिवीजन
Swift के जरिये घोटाले होना मुश्किल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन बदलावाें के बारे में 17 फरवरी को बैंक के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को मेमो भेजा गया है। आने वाले गुरुवार से इस पर अमल के निर्देश दिए गए हैं।
क्या है SWIFT सिस्टम
SWIFT यानि Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य एक मैसेजिंग नेटवर्क है। इसके माध्यम से दुनियाभर के बैंक ‘एक कोड सिस्टम’ के जरिये वित्तीय लेनदेन का सुरक्षित आदान-प्रदान करते हैं। जानकारों का मानना है कि SWIFT के जरिये किसी एक पूरे बैंक को धराशाही किया जा सकता है। मेकर, चेकर और वेरिफायर SWIFT में बहुत बड़ा रोल प्ले करते हैं। मेकर सिस्टम में मैसेज डालता है, चेकर उन मैसेजेस की जांच करता है और वेरिफायर इन दोनों प्रक्रियाओं की जांच कर वेरिफाई करता है।
नीरव को स्विफ्ट सिस्टम से ही घोटाला करने में मिली मदद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएनबी घोटाले की अभी तक की जांच में साफ हो चुका है कि नीरव मोदी को स्विफ्ट सिस्टम से ही घोटाला करने में मदद मिली थी। जांच में सामने आया कि नीरव मोदी के लोगों को पीएनबी के कंप्यूटर सिस्टम पासवर्ड मालूम थे, जिसे वे बिना किसी रुकावट के यूज करते थे। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के लिए जरूरी सभी लॉग-इन पासवर्ड उनके पास थे। पीएनबी के ब्रेडी हाउस ब्रांच के पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी, सीडब्ल्यूओ मनोज खरात और नीरव के आधिकारिक हस्ताक्षर करने वाले हेमंत भट्ट ने पूछताछ में सीबीआई के सामने ये खुलासा किया था। गोकुलनाथ शेट्टी, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को जो एलओयू जारी करता था, उसकी सूचना वह दूसरे बैंकों को ‘स्विफ्ट’ के जरिए ही देता था…Next
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