दुनिया में धर्म के कुछ ठेकेदारों ने जन-जन की मन में नफरत के बीज बोने का काम किया है. इंसानों को दो गुटों में बाट दिया है. अपने हितों को साधने के लिए धर्म की आड़ लेकर भयंकर रक्तपात मचाया है. एक समुदाय दूसरे समुदाय से लड़ते हैं जबकि आज इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी आदि है. पंजाब के बरनाला जिले में स्थित शिव मंदिर हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई के बीच भाईचारा का एक बेहतरीन उदाहरण पूरे देश को दे रही है.
पंजाब में बरनाला जिले के भदौर शहर में स्थित शिव मंदिर एकता की सबसे बड़ी मिसाल है. विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच भाईचारा अपने आप में अनूठा है. यह मंदिर धर्म के नाम पर बेकसूरों की चिता पर रोटी सेकने वाले लोगों के गाल पर एक तमाचा है.
यह शिव मंदिर हिन्दू, मुसलमान, सिख और ईसाई सबको इबादत के लिए जगह दे रहा है. यहां आने वाले लोग यह देखकर हैरान हो गए कि एक मौलवी शिव मंदिर में मुस्लिम प्रार्थना कर रहा है और सामने बैठ हिन्दू साधु और सिख ग्रंथी श्रद्धा से सुन रहे है. यहां तक कि कुरान की आयतें भी पढ़ी जा रही हैं. मंदिर प्रबंधन इन आयोजनों का दिल से स्वागत करता है और इसके लिए इंतजाम भी करता है.
मौलवी साहब यह अनुष्ठान 20 साल के शौकत अली की सड़क हादसे में हुई मौत के बाद प्रार्थना (फातिहा) कर रहे थे. शौकत इस इलाके में मजदूरी किया करते थे. अली के पिता तीन सालों से जेल में हैं. उसकी मां शमशेरा खान के पास इतने साधन नहीं थे कि वह खुद से शौकत के लिए प्रार्थना पढ़वा सकें. इसी वजह से उन्होंने ग्यारह रुद्र शिव मंदिर प्रबंधन से संपर्क किया और उनसे प्रार्थना आयोजित करवाने की गुजारिश की. मंदिर प्रबंधन इस पर सहमत हो गया और इबादत का करने का मौका दे दिया.
यह व्यवहार शहर से बाहर कई इलाकों में रहने वालों को चौंकाने वाला था. यह बातें दूसरे लोगों के लिए चौकानें वाला है पर यहाँ के लोगों के लिए यह आम बात है. 1990 के बाद मंदिर की प्रबंध कमेटी दूसरे धर्मावलंबियों को भी न केवल मंदिर में इबादत की इजाजत देता है साथ ही स्वागत के साथ इंतजाम भी करता है. तीन साल पहले यहां सभी समुदायों के लोगों के लिए धार्मिक अनुष्ठान आयोजन करने की खातिर मंदिर प्रांगण में विशाल हॉल बनाया गया था. इस शहर की आबादी करीब 20 हजार है जिसमें 250 मुस्लिम परिवार हैं. यह मिसाल दुसरे प्रदेशों के लिए बहुत प्रेरणादायक है. Next
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