मौनी अमावस्या के दिन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग घायल भी हुए हैं जिसमें से छह की हालत गंभीर बताई जा रही है. यह हादसा उस समय हुआ जब भारी संख्या में लोग कुंभ स्नान के बाद स्टेशन की ओर कूच करने लगे. चश्मदीदों के मुताबिक स्टेशन पर भारी भीड़ को देखते हुए जैसे ही पैसेंजर ट्रेन की घोषणा हुई अफरा-तफरी का माहौल हो गया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पीड़ितों में 26 महिलाएं, नौ पुरुष और एक बच्चा है. अब तक 20 शवों की पहचान हो पाई है.
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वैसे इस हादसे की जो वजह बताई जा रही है इससे प्रशासन की बदइंतजामियों का पता चलता है. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो मौनी अमावस्या के कारण संगम में लगभग तीन करोड़ लोग स्नान के लिए पहुंचे थे. जिसको देखते हुए इलाहाबाद स्टेशन पर भीड़ होने की काफी संभावानाएं जताई जा रही थीं लेकिन प्रशासन ने इसके लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे. लोगों के मुताबिक स्टेशन पर मौजूद पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी थी कि वह भीड़ को नियंत्रित करें लेकिन उन्होंने लोगों को जबरन खदेड़ना शुरू कर दिया.
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इस पूरी घटना में यदि नजर दौड़ाई जाए तो इसमें आयोजकों और प्रशासन में तालमेल की कमी दिखाई दी. इसमें कहीं भी मेला पुलिस, स्थानीय पुलिस और रेलवे पुलिस के बीच तालमेल नहीं दिखा. हर कोई अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागता हुआ नजर आया. अगर तालमेल होता तो लोगों को कई अलग-अलग जगहों पर रोका जा सकता था और भीड़ को एक जगह जमा होने से रोका जा सकता था.
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया कि बदइंतजामी के साथ-साथ पिछली गलतियों से न सीखने की जिद के नतीजे कितने भयानक हो सकते हैं. भारत में इस तरह के हादसों का अपना ही इतिहास रहा है लेकिन प्रशसन आज तक गलतियों से सबक नहीं ले पाया है.
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