प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच एजेंसी के निदेशक पद से हटाकर फायर सर्विसेज एंड होम गार्ड का डायरेक्टर जनरल बना दिया है वहीं, नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई का अंतरिम प्रमुख बनाया गया है इस फैसले के बाद से सोशल मीडिया पर लोग कई तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं वहीं नेता भी ट्वीट करके इस पूरे प्रकरण में अपनी राय रख रहे हैं ऐसे में आम लोगों के मन में ये सवाल है सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर बहाली के 48 घंटों के भीतर सिलेक्शन कमिटी ने आलोक वर्मा को पद से क्यों हटा दिया है।
आइए, जानते हैं वो 5 वजहें जिसके चलते आलोक वर्मा को पद से हटाया गया है
गोल्ड स्मगलर को बचाने का आरोप
आलोक वर्मा पर यह भी आरोप था कि जब वह 2016 में दिल्ली पुलिस के कमिश्नर थे तो उन्होंने कस्टम डिपार्टमेंट द्वारा पकड़े गए एक गोल्ड स्मगलर को बचाया था। वर्मा ने कथित तौर पर गोल्ड स्मगलर को पुलिस सुरक्षा में बाहर निकालने का निर्देश दिया था। सीवीसी ने जांच में इन आरोपों को ‘आंशिक रूप से पुख्ता’ पाया और सीबीआई की एक अन्य शाखा द्वारा इसकी जांच की सिफारिश की।
दो करोड़ की रिश्वत का मामला
प्रधानमंत्री की अगुआई वाले सिलेक्शन पैनल ने वर्मा के खिलाफ सीवीसी की बेहद गंभीर टिप्पणियों का संज्ञान लिया। सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने आरोप लगाया था कि वर्मा ने मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच को प्रभावित करने के लिए सतीश बाबू सना से 2 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। सीवीसी ने अपनी जांच में वर्मा के आचरण को ‘संदेहास्पद’ और प्रथमदृष्टया ही उनके खिलाफ केस पाया।
लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जांच में एक अधिकारी को बचाने की कोशिश
रेलवे के 2 होटलों का ठेका देने से जुड़े लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जांच के मामले में भी वर्मा पर गंभीर आरोप थे। आरोपों के मुताबिक, वर्मा ने इस मामले में पुख्ता सबूतों के बावजूद एक वरिष्ठ अधिकारी को बचाया और जांच में उनका नाम हटा दिया।
रियल एस्टेट कंपनी के मालिक से सम्बध
सिलेक्शन कमिटी हरियाणा के एक जमीन घोटाले के मामले में भी वर्मा पर लगे आरोपों को काफी गंभीर प्रकृति का पाया। इस मामले में शुरुआती जांच को बंद करने को सुनिश्चित करने के लिए कथित तौर पर 36 करोड़ रुपये में सौदा हुआ। वर्मा पर आरोप है कि वे हरियाणा के तत्कालीन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर और एक रियल एस्टेट कंपनी के संपर्क में थे। सीवीसी ने इस मामले में ‘आगे की जांच की जरूरत’ बताई।
दागी अफसरों की भर्ती की सिफारिश
वर्मा पर यह भी आरोप थे कि उन्होंने दागी अफसरों को सीबीआई में लेने की कोशिश की थी। वर्मा ने कथित तौर पर 2 दागी अफसरों को सीबीआई में लाने की कोशिश की थी, जबकि दोनों के खिलाफ प्रतिकूल रिपोर्ट थे। सीवीसी ने इन आरोपों को ‘पुख्ता’ पाया…Next
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