04 जून, 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान से बाबा रामदेव के भक्तों को आधी रात को हटाया क्या कांग्रेस सरकार की तो जैसे नींद ही उड़ गई. वैसे बाबा रामदेव को भगाने का प्लान तो तब से ही था जब वह दिल्ली एयरपोर्ट पर पधारे थे पर तब सरकार के आला अफसरों के आगे बाबा रामदेव ने थोड़ी नरमी दिखा कर अपना रास्ता बना लिया और रामलीला मैदान तक पहुंच गए. पर विवाद था कि बाबा रामदेव का पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.
तभी 04 जून की आधी रात को कुछ ऐसा हुआ जिसकी बाबा रामदेव और करोड़ों भारतीयों ने कल्पना भी नहीं की होगी. रात के समय दिल्ली पुलिस के जवानों ने रामलीला मैदान में इकठ्ठा हजारों की भीड़ को मात्र दो घंटे में खाली करा दिया. बड़ी अजीब बात लगी, कभी दो-तीन सौ लोगों की भीड़ को ना हटा पाने वाली इस पुलिस में ना जानें बाबा रामदेव और उनके हजारों समर्थकों क़ो हटाने की ताकत कहां से आ गई? सरकारी दमन को नाम दिया गया पुलिसिया कार्यवाही का. लेकिन इस एक कदम ने सरकार को दुबारा आफत में ला खड़ा कर दिया है.
अपने पांच दिन के अनशन से सरकार को लोकपाल बिल पर झुकाने वाले अन्ना हजारे अब बाबा रामदेव के साथ हो गए हैं. गाधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने योगगुरु बाबा रामदेव पर पिछले दिनों रामलीला मैदान में हुई कार्यवाही के विरोध में 08 जून को राजघाट पर अपना एक दिवसीय अनशन शुरू किया.
हालांकि अन्ना अपना डेरा जंतर मंतर पर डालना चाहते थे लेकिन ऐसा संभव ना हो सका. जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की दिल्ली पुलिस से अनुमति नहीं मिलने के बाद अन्ना ने राजघाट को कूच कर दिया.
अन्ना हजारे के साथ बाबा रामदेव भी अनशन में आना चाहते थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें 14 दिनों तक दिल्ली में घुसने की इजाजत नहीं दी है. वहीं दिल्ली के कई क्षेत्रों में धारा 144 लागू है जिससे परेशानी और बढ़ गई है.
फिर भी अन्ना हजारे राजघाट पर अकेले नहीं है. अन्ना के साथ स्वामी अग्निवेश, शाति भूषण, किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल आदि लोग मौजूद हैं. प्रशासन ने काले धन के मुद्दे पर बाबा रामदेव के अनशन के दौरान की गई कार्रवाई के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं और दिल्ली पुलिस के जवान बड़ी संख्या में तैनात किए गए हैं.
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