वर्तमान राजनीति बदलाव के दौर के गुजर रही है. इसका ट्रेलर हाल में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिला जहां केवल एक साल की पुरानी पार्टी (आम आदमी पार्टी) ने दशकों पुरानी पार्टियों को अपने पहले ही चुनाव में ढ़ेर कर दिया. आम आदमी पार्टी की इस शानदार जीत में जहां अरविंद और उनकी टीम का योगदान रहा वहीं कहीं कहीं अपने आप को राजनीति से दूर किए हुए समाजिक अन्ना हजारे भी इस जीत नायक रहे.
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि अरविंद की सफलता के पीछे दो साल पहले का वह आंदोलन था जिसने केंद्र की यूपीए सरकार की नींद उड़ा दी थी. जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर किया गया आंदोलन भले ही अपने मुकाम पर नहीं पहुंच पाया लेकिन इस आंदोलन के चलते आज अरविंद और उनकी पार्टी भारतीय राजनीति के केंद्र बिंदु जरूर बन गए.
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शासन और उसकी नीतियों से त्रस्त होकर किया गया जन लोकपाल आंदोलन एक बार फिर महाराष्ट्र के रालेगण सिद्दी से एक फिर शुरु होने जा रहा है. जनलोकपाल बिल के लिए सालों से लड़ाई लड़ने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे एक बार फिर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ रहे हैं. उनकी मांग है कि राज्यसभा इसी सत्र (शीतकालीन सत्र) में जल्द से जल्द जन लोकपाल बिल को पास करें. लोकसभा पहले ही इस बिल को पास कर चुकी है.
76 साल के अन्ना हजारे ने अपने अनशन से एक दिन पहले सोमवार सुबह कहा, ‘हमसे लगातार वादा किया जाता रहा कि विधेयक को पारित किया जाएगा. लेकिन एक वर्ष से भी अधिक समय बीतने के बावजूद ऐसा नहीं किया गया. सरकार ने जनता को धोखा दिया है. गौरतलब है कि रामलीला मैदान के अनशन के दौरान प्रधानमंत्री ने अन्ना हजारे को लिखित में वादा किया था कि वह जन लोकपाल बिल को पास करवागे.
अन्ना हजारे ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संसद में सांप्रदायिक हिंसा बिल को पारित कराने का संकल्प ले सकते हैं, तो वह ऐसा भ्रष्टाचार विरोधी कानून के मामले में क्यों नहीं कर सकते. हजारे ने कहा कि जन लोकपाल विधेयक पारित करने में विफलता चार राज्यों में हाल में हुए चुनावों में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस ने लोगों को धोखा दिया जिन्होंने उचित जवाब दिया है.
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