कहते हैं वक्त खुद को दुहराता है. ठीक इसी तरह आज हमारे सामने वह सब घटित हो रहा है जो आजादी से पहले अंग्रेजों ने हमारे साथ किया था. न्याय और सुशासन की चाह रखने वालों को अब उनके घर से ही गिरफ्तार कर लिया जाता है और धारा लगा दी जाती है कि वह शहर में शांति भंग करना चाहते थे.
आज देश में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए लड़ाई लड़ने वाले सत्याग्रही अन्ना हजारे को उनके आवास से उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वह दिल्ली के जेपी पार्क में अनशन के लिए निकल रहे थे. अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल सुप्रीम एनक्लेव स्थित फ्लैट की लिफ्ट से जैसे ही उतरे वैसे ही सादी वर्दी में वहां उपस्थित कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
जानकारों के अनुसार, अन्ना हजारे और उनके समर्थकों को निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में धारा 147 एवं 151 के तहत गिरफ्तार किया गया है. अन्ना और केजरीवाल को हिरासत में लेकर सिविल लाइंस जीओएस मेस ले जाया गया है, जहां उन्हें कैंप बनाकर रखा गया है.
अन्ना का आह्वान
इस बीच अन्ना हजारे ने अपने समर्थकों को जारी संदेश में कहा कि अब वक्त आ गया है कि ज्यादा से ज्यादा लोग गिरफ्तारी दें क्योंकि यह आजादी की दूसरी लड़ाई है और भ्रष्टाचारियों की असलियत सामने आ गई है. हजारे ने अपने समर्थकों से कहा कि वे आठ दिनों के लिए अपने काम से छुट्टी लें और इस आंदोलन में कूद पड़ें. लोगों के बड़ी तादाद में शामिल होने से ही यह आंदोलन मजबूत होगा.
पुलिस की दादागिरी
दिल्ली में चाहे क्राइम रेट कितना ही बढ़ता रहे इसकी कोई परवाह नही लेकिन अगर किसी ने यूपीए सरकार के खिलाफ आवाज उठाई तो उसकी खैर नहीं. दिल्ली पुलिस का रवैया एकदम साफ है कि वह किसी भी हालत में दिल्ली में किसी तरह की सरकार-विरोधी गतिविधियों को हवा नहीं देना चाहती. पुलिस ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए सोमवार रात जय प्रकाश नारायण पार्क सहित मध्य दिल्ली में कई स्थानों पर निषेधाज्ञा लागू कर दी. आईपी पुलिस स्टेशनों के कुछ हिस्सों में आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू कर दी गई है. इन सब के बीच प्रधानमंत्री ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर मामले की तपिश का जायजा लेने का मूड बनाया है.
पहले रामदेव और अब अन्ना के साथ सरकार का रवैया इस बात की तरफ इशारा करता है कि यूपीए की दाल में काला नहीं बल्कि इसकी पूरी दाल ही काली है. अभी अगर ताजा मामला देखा जाए तो कैग की रिपोर्ट में शीला दीक्षित के बुरी तरह फंसने के बाद भी उन पर आंच तक नहीं आई. अब तो साफ है कि यह सरकार भ्रष्टतम सरकारों में से अव्वल कहलाने की हकदार है. आज के समय में जब सरकार अन्ना हजारे, किरण बेदी, शांति भूषण जैसे बड़े नेताओं और हस्तियों को भ्रष्टाचार से मुक्ति मांगने पर जेल भेज रही है तो आम इंसान का भला क्या हश्र होगा. और यही वजह है कि आज आम आदमी न्याय मांगने और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होने से डरता है और अपनी भलाई इसी भ्रष्ट सिस्टम में घुलने-मिलने में समझता है.
Read Comments