लगता है भारत में अब अन्ना हजारे “अनशन” का दूसरा नाम हो गए हैं. अन्ना हजारे का नाम आते ही मन में अनशन की छवि बन जाती है. पहले इस साल अप्रैल फिर अगस्त और अब हो सकता है अन्ना हजारे दिसंबर में भी अनशन पर बैठें. संसद के शीतकालीन सत्र में यदि सरकार लोकपाल बिल को पास नहीं करती है तो अन्ना हजारे फिर से रामलीला मैदान में अनशन करेंगे. अन्ना का अनशन 27 दिसंबर से पांच जनवरी 2012 तक चलेगा. इसके लिए टीम अन्ना ने एमसीडी से इजाजत भी ले ली है. हालांकि उन्हें अभी दिल्ली पुलिस से एनओसी नहीं मिल पाया है.
अभी तक सरकार बार-बार जनता को सशक्त लोकपाल बिल का भरोसा दे रही थी लेकिन टीम अन्ना के रवैए से लगता है कि सरकार अन्ना की बात मानने के लिए तैयार नहीं है. टीम अन्ना भी भीतरी उथल-पुथल से उबरने और लोकपाल आंदोलन को पटरी पर लौटाने की कोशिश में जुटी हुई है. ऐसे में सरकार और अन्ना टीम की तो टक्कर हो ही सकती है. सब जानते हैं सरकार पहले भी लोकपाल बिल पर ढिलमुल रवैया अपनाती रही है, टीम अन्ना जो पिछले काफी समय से आंतरिक कलह से गुजर रही है वह भी अब संभल चुकी है.
अगर सूत्रों की मानें तो सरकारी लोकपाल को कमजोर बताते हुए अन्ना की टीम इस कड़ी में अपने विरोध की शुरुआत सोमवार को राजधानी में मौन प्रदर्शन के साथ करने जा रही है. टीम अन्ना के मुताबिक 28 नवंबर को सुबह आठ बजे दिल्ली के आईटीओ इलाके में मौन विरोध प्रदर्शन से शुरुआत होगी. इसके साथ ही लोकपाल मुद्दे पर दबाव बढ़ाते हुए अन्ना हजारे ने भी निश्चय किया है कि विधेयक पर यदि संसद की स्थाई समिति के प्रस्ताव से वह संतुष्ट नहीं हुए तो वे 11 दिसंबर को दिल्ली में धरना देंगे.
इस तरह से अगर देखा जाए तो हो सकता है देश की राजनीति में एक बार फिर भूकंप आए और उसका केन्द्र दिल्ली का ही रामलीला मैदान बने. लेकिन इस बीच अन्ना हजारे की मुश्किलें कम नहीं होंगी. अन्ना हजारे पर बार-बार अनशन के माध्यम से राजनीति चमकाने का आरोप लगाया जाता रहा है और अब भी कई लोग मानते हैं कि अन्ना अपने मूल मंत्र से हट चुके हैं. हाल ही में केंद्रीय मंत्री शरद पवार पर चांटा पड़ने की घटना पर उन्होंने एक कमेंट दिया था कि “क्या चांटा..चांटा मारा.. एक ही मारा.” अपनी बात को लेकर उन्हें सफाई भी देनी पड़ी थी. साथ ही इस बार कांग्रेस के पास सोनिया गांधी लौट चुकी हैं तो इस बार अगर अनशन होता है तो उसका परिणाम भी जल्दी ही निकलेगा.
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