भारत की सुरक्षा नीति के बारे में कहा जाता है कि भारत कभी युद्ध की शुरुआत नहीं करता लेकिन शक्ति संतुलन बना रखने और रक्षा नीति को मजबूत करने के लिए भारत हमेशा से खुद को मजबूत करता रहा है। इसी कड़ी में भारत की सुरक्षा नीति को और मजबूत किया जा रहा है।
भारतीय सेना को मिलेंग़े टी-90 भीष्म टैंक
भारतीय सेना अपने बेड़े में रूसी मूल के टी-90 भीष्म टैंक को शामिल करेगी। इन टैंकों के लिए रूस से 13,448 करोड़ रुपये का कांट्रैक्ट किया गया है। यह सभी टैंक सेना को 2022-26 के बीच मिल जाएंगे। इन्हें पाकिस्तान से सटी सीमा पर तैनात किया जाएगा। सेना की बख्तरबंद रेजीमेंट में इस समय लगभग 1,070 टैंक हैं। इसके अलावा 124 अर्जुन और 2,400 पुराने टी-27 टैंक हैं। 2001 के बाद पहले 657 टी-90 टैंकों को रूस से 8,525 करोड़ रुपये में खरीदा गया था। एक सूत्र ने कहा, ‘बचे हुए 464 टैंकों के मांगपत्र में कुछ देरी हुई है। इन नए टैंकों में भी रात में लड़ने की क्षमता है। एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाए तो 30-41 महीनो में 64 टैकों की डिलीवरी हो जाएगी।’
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब 1।3 मिलियन (एक लाख 30 हजार) की मजबूत सेना युद्ध लड़ने वाली अपनी पूरी मशीनरी को फिर से तैयार कर रही है। यह कार्य मुख्य रूप से टी-90एस टैंकों के आसपास केंद्रित पुनर्गठन और चुस्त एकीकृत युद्ध समूहों (आईबीजी) द्वारा किया जाएगा। जिसके साथ इंफेंट्री, आर्टिलरी, एयर डिफेंस, सिग्नल और इंजीनियर होंगे। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने सोमवार को कहा कि नए टी-90 टैंक अपग्रेड होंगे और इन्हें भारत में बनाया जाएगा। इसके अधिग्रहण के लिए एक महीने पहले ही रूस से लाइसेंस को मंजूरी मिल गई है। 464 टी-90 टैंकों के उत्पादन के लिए मांगपत्र जल्द ही ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के तहत चेन्नई के अवाडी हेवी व्हीकल फैक्ट्री (एचवीएफ) में मांगे जाएंगे।
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