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फ्रंटफुट से बैकफुट पर अरविंद केजरीवाल

arvind kejriwalकभी साथ-साथ भ्रष्टाचार को देश से मुक्ति दिलाने का सपना देखने वाले अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवालआज आमने सामने खड़े हैं. किसी को उम्मीद नहीं थी कि कुछ दिन पहले लोगों में जन चेतना जागृत करने वाले यह समाजिक कार्यकर्ता आपसी टकराव के शिकार हो जाएंगे. खुद को अन्ना हजारे का समर्थक बताने वाली एनी कोहली की बातों से तो यही लगता है. गौरतलब है कि 59 वर्षीय एनी कोहली ने रविवार को अरविंद केजरीवाल की गाजियाबाद में चल रही प्रेस कॉन्फ्रेंस में जमकर हंगामा किया. एनी कोहली ने केजरीवाल के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनसे कई सवाल उनसे पूछ ड़ाले.



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अन्ना हजारे से प्रभावित होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में जुड़ने वाली एनी कोहली ने केजरीवाल पर सवाल दागते हुए पूछा कि वे क्रांतिकारी हैं, गांधीवादी हैं या फिर राजनेता? कोहली ने केजरीवाल के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, कि भगत सिंह और महात्मा गांधी ने देश के लिए बलिदान दिया लेकिन आप बलिदान से क्यो डर गए? इसके अलावा वह इस बात से भी आहत हैं कि उन्होंने राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए अन्ना को धोखा दिया. जवाब में केजरीवाल ने कहा कि मैं नेतागिरी के लिए नहीं बल्कि क्रांति के लिए मैदान में उतरा हूं। मैं वोट मांगने नहीं जा रहा हूं, व्यवस्था परिवर्तन के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं. इससे पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी केजरीवाल पर 27 सवाल दांगे थे जिसके जवाब में केजरीवाल की टीम ने कहा था कि इनमे से कोई भी सवाल देश से जुड़ा नहीं है.


कुछ दिन पहले तक देश की राष्ट्रीय पार्टियों की नींद हराम करने वाले अरविंद आज बैकफुट पर खड़े नजर आ रहे हैं. वैसे जिस एनी कोहली ने अरविंद की नियती पर सवाल दागे है उसी कोहली की पहचान अभी भी संदेह के घेरे में हैं क्योंकि केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने हंगामा मचाने वाली महिला को पहले कभी नहीं देखा है. ऐसे में सवाल उठता है कि अरविंद को धोखेबाज कहने वाली एनी कोहली खुद राजनीति से प्रेरित तो नहीं क्योंकि बीते कुछ दिनों से अरविंद अपनी पार्टी खड़ी करने के लिए जिस प्रभावपूर्ण रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं उससे राजनीति पार्टियों की सिरदर्दी बढ़ गई है. अरविंद द्वारा लगाए आरोपो से वह हक्का-बक्का हो गए हैं और उन्हे समझ में नहीं आ रहा कि इन आरोपो का तोड़ कैसे निकाले.


वहीं दूसरी तरफ कोहली ने जो सवाल उठाए हैं उसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता क्योंकि समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी अरविंद के पार्टी बनाने के खिलाफ थे. उनका मानना था कि वह राजनीति से दूर हटकर भ्रष्टाचार को मिटाएंगे और यही वजह रही कि उन्होंने अरविंद और उनकी टीम से अपने आप को अलग कर लिया. उन्होंने कई बार अपने ब्लॉग में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के बिखराव के लिए अरविंद को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं. अब खबर यह भी आ रही हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए अन्ना हजारे अपनी नई टीम बनाने जा रहे हैं, जिसमे जरनल वी.के. सिंह के अलावा कई नए चेहरे भी शामिल होंगे.


अपने संक्रमण काल से गुजर रही भारतीय राजनीति में जहां एक तरफ अरविंद बचाव की मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं वही विपक्ष उनपर आक्रमण करने में लगा हुआ है, जिसमे कही न कही अन्ना हजारे भी शामिल है. नेताओं को घेरने के लिए जो सवालों के जाल वह बुनते थे आज उसी जाल में फंसते नजर आ रहे हैं. अब ऐसे में अरविंद के सामने न केवल अपनी छवि को स्पष्ट करने की चुनौती है बल्कि राजनीति के गर्भ से निकल रही उनकी नई पार्टी को नकारात्मक विवादों से दूर रखने की भी जरूरत है.


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