ईमानदारी आज के समय में गायब सी हो रही है. देश में भ्रष्टाचारियों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है. लेकिन यह कहना कि अब ईमानदारी पूरी तरह से खत्म हो गई यह गलत होगा क्यूंकि यहां कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी सिविल सर्विसेज की नौकरी तक छोड़ देश में फैले भ्रष्ट सिस्टम को खत्म करने के लिए लड़ रहे हैं. आज अन्ना हजारे और उनकी टीम के सदस्य भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं और इसी लड़ाई के अहम सिपाही हैं अरविंद केजरीवाल.
अरविंद केजरीवाल की प्रोफाइल
अरविंद केजरीवाल का जन्म 1968 में हरियाणा के हिसार में हुआ. उनके पिता विंदराम केजरीवाल जिंदल स्टील में इंजीनियर थे. अरविंद सरकार के कार्यो में अधिक से अधिक पारदर्शिता के लिए आंदोलन करते रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल (यांत्रिक) इंजीनियरिंग में स्नातक (बीटेक) की उपाधि प्राप्त की. अरविंद केजरीवाल ने इसके बाद टाटा स्टील कंपनी में काम किया लेकिन यहां से उन्होंने भ्रष्टाचार और लोगों की निष्क्रियता की वजह से काम छोड़ दिया. टाटा स्टील कंपनी के साथ अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, वह मिशनरीज ऑफ चैरिटी और पूर्वी व पूर्वोत्तर भारत में रामकृष्ण मिशन के साथ काम करने लगे.
साल 1992 अरविंद के लिए बहुत ही कामयाब रहा. अरविंद केजरीवाल 1992 में सिविल सर्विसेज क्वालिफाई करके भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए, और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया. उन्होंने कुछ विदेशी कंपनियों के काले कारनामे पकड़े कि किस तरह वे भारतीय आयकर कानून को तोड़ती हैं. उन्हें धमकियां मिलीं और फिर तबादला भी हो गया, जिसके बाद उनका सरकारी सेवा से मोहभंग हो गया. जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार का कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है.
अपनी आधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने, भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू कर दी. अरविंद केजरीवाल ने आयकर विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की. प्रारंभ में, अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जनवरी 2000 में, उन्होंने काम से विश्राम ले लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन ‘परिवर्तन’ नामक संस्था की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करती है. इस संस्था के जरिए अरविंद और उनके दोस्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं.
2006 में केजरीवाल ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से परिवर्तन से जुड़ गए. अब केजरीवाल का नाम किसी के लिए अनजान नहीं है और अन्ना हज़ारे के साथ उनका नाम अन्ना के मुख्य सलाहकार के तौर पर जुड़ा है.
6 फरवरी 2007 को, अरविन्द को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन ‘इन्डियन ऑफ़ द ईयर’ के लिए नामित किया गया. 2006 में उन्हें उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए “रमन मैगसेसे अवार्ड” (Ramon Magsaysay Award) से सम्मानित किया गया.
आरटीआई के लिए केजरीवाल के कार्य
अरुणा रॉय और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर, उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया जिसे जल्द ही सफलता भी मिल गई. दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया. साल 2006 में केजरीवाल ने लोगों में सूचना का अधिकार के इस्तेमाल करने को लेकर जागरुकता अभियान भी चलाया जिसे बहुत सफलता मिली.
अन्ना के साथ
इंडिया अगेंस्ट करप्शन (India Against Corruption) का सदस्य बनने के बाद से अरविंद केजरीवाल अन्ना हजारे के समर्थन में हमेशा खड़े रहते हैं और आज अन्ना के सबसे अहम सिपाहियों में से एक बन गए हैं.
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