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पुलिस प्रशासन के आगे बेबस मुख्यमंत्री !!

एक व्यवस्था के तहत अगर किसी राज्य की मशीनरी (प्रशासन) काम नहीं कर रही है तो उसका सारा दोष उस राज्य के वजीरेआला पर मढ़ दिया जाता है. वैसे यह वाजिब भी है क्योंकि प्रशासन पर उसका पूरा नियंत्रण होता है. अगर उत्तर प्रदेश में कोई अधिकारी शांति और व्यवस्था कायम करवाने में विफल साबित होता है, तो सूबे के मुखिया के पास अधिकार होता है कि वह उस अधिकारी का या तो तबादला करे या फिर उसको निलंबित, लेकिन उत्तर प्रदेश से सटे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ‘दिल्ली’ के मामले में ऐसा नहीं है.


delhi chief minister 1कहने को तो दिल्ली में चुनाव होता है, सरकार भी बनती है और मुख्यमंत्री के रूप में एक नेता भी चुना जाता है. लेकिन उस नेता के पास अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तुलना में इतने अधिकार नहीं होते कि काम के लिए प्रशासन पर अपना धौंस जमा सके. अब दिल्ली पुलिस को ही ले लीजिए. कहने को तो वह दिल्ली की पुलिस हैं लेकिन उस पर नियंत्रण गृह मंत्रालय के पास है. इसलिए जब कभी पुलिस पर कार्यवाही करने की बात आती है तो यहां के मुख्यमंत्री को गृह मंत्रालय पर निर्भर रहना पड़ता है.


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वर्तमान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. आज ऐसी स्थिति आ चुकी है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपने ही पुलिस प्रशासन को घेरने के लिए धरने का सहारा लिया है. सोमवार को धरने पर बैठते ही केजरीवाल ने अपने भाषण में एक बार फिर अपनी मांग दोहराई और दिल्ली पुलिस पर जमकर बरसे. उन्होंने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि जांच का दिलासा दिया जाता है, लेकिन कई मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. आप के मुख्य प्रवक्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली पुलिस भ्रष्ट और निकम्मी है.


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दरअसल, पिछले दिनों एक छापे के दौरान केजरीवाल सरकार के मंत्री और पुलिस के बीच विवाद के बाद पुलिस और दिल्ली सरकार के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है. एक तरफ जहां केजरीवाल आरोपी पुलिसवालों को सस्पेंड किए जाने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं पुलिस का कहना है कि दिल्ली सरकार के मंत्री उनके काम में दखलअंदाजी कर रहे हैं. फिलहाल दिल्ली पुलिस ने संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के आसपास धारा 144 लागू कर रखी है. धारा 144 इन इलाकों में 19 से लेकर 22 जनवरी तक के लिए लगाई गई है. पुलिस की दलील है कि ऐसा गणतंत्र दिवस की परेड को ध्यान में रखते हुए किया गया है.


अब यहां सवाल उठता है कि जिस तरह से केजरीवाल मुख्यमंत्री होते हुए अपने लाव-लश्कर के साथ पुलिस प्रशासन और गृह मंत्रालय को चुनौती दे रहे हैं, इससे उनकी पद की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचती? जबकि केजरीवाल जिन आरोपी पुलिसवालों पर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं, उस मसले पर दिल्ली के उप−राज्यपाल नजीब जंग पहले ही जांच के आदेश दे चुके हैं.


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