मेहनत और किस्मत ऐसे दो शब्द हैं जिन्हें समझते-समझते इंसान की पूरी उम्र गुजर जाती है. हम में से कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा होता है. कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के लिए उन्हें सबसे ज्यादा अपनी कड़ी मेहनत पर यकीन होता है. वो किस्मत के भरोसे बैठना पसंद नहीं करते. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि उनकी कामयाबी का सिक्का तब तक नहीं चल सकता जब तक कि किस्मत उन पर मेहरबान न हो. देखा जाए तो मेहनत और किस्मत पर यकीन करने वालों की राय अपने अनुभव के आधार पर बनी होती है.
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लेकिन किस्मत और मेहनत से बड़ी एक चीज ऐसी भी है. जिसके होने से इंसान किसी भी नामुमकिन काम को मुमकिन कर सकता है. वो चीज है ‘जज्बा’ यानि कुछ कर गुजरने का जुनून. जिस भी व्यक्ति में हालात और जीवन की मुश्किलों को पछाड़कर कुछ कर गुजरने की चिंगारी होगी. उसके लिए असंभव शब्द भी सम्भावनाओं से भरा होगा. कुछ ऐसी ही मिसाल है असम के सागर शर्मा, जिन्होंने अपनी जिदंगी की कड़वी सच्चाईयों को अपनी पांव की बेड़ियां नहीं बनने दिया. सागर शर्मा अपनी प्राथमिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए, बावजूद इसके उन्होंने अपनी मेहनत से ये हेलिकॉप्टर तैयार कर दिया. बचपन में घर के हालात सही न होने के कारण तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई पूरी कर सकने वाले सागर ने, ये कारनामा महज तीन साल में कर दिखाया.
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इसके लिए उन्होंने लोकल टेक्नॉलिजी का सहारा लिया. तीन साल तक वे अपनी पत्नी जॉनमनी मयंक के साथ बंद कमरे में काम करते रहे. इस दौरान उन्होंने सोशल दुनिया से दूरी बना ली. अपने कमरे से वो केवल जरूरी कामों के लिए ही निकलते थे. उनकी पत्नी उन्हें हमेशा हौंसला देती रही. सागर ने अपनी कम पढ़ाई-लिखाई को कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. पेशे से वेल्डर सागर ने 90 प्रतिशत काम पूरा होने पर हेलिकॉप्टर को दुनिया के सामने रखा. अभी तक उन्होंने इसके लिए 10 लाख तक का खर्च किया है. इसके लिए उन्होंने अपने दोस्त तूपन का शुक्रिया अदा किया और कहा कि उनकी पैसों की मदद के बगैर यह काम संभव नहीं था. वहीं दूसरी ओर अपनी पत्नी के सहयोग और विश्वास को भी अपनी कामयाबी का क्रेडिट दिया…Next
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