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‘अडॉप्शन प्रोग्राम’ के तहत भारत से बच्चे गोद लेने की ऑस्ट्रेलिया ने फिर की पेशकश, 2010 में प्रोग्राम को करना पड़ा था बंद

क्या आप किसी अनाथ आश्रम में गए हैं? अगर नहीं तो एक बार जरूर जाकर देखिए, अभावों से जूझते उन बच्चों को किसी भी चीज से भी ज्यादा जरुरत मां-बाप की होती है। उनके लिए एक घर और माता-पिता किसी सपने से कम नहीं है। ऐसे बच्चों को परिवार देने के लिए गोद लेने की लंबी कानूनी प्रकिया है। ऑस्ट्रेलिया के नागरिक पहले अडॉप्शन प्रोग्राम के तहत भारत से बच्चा गोद ले सकते थे लेकिन 2010 के बाद इसपर रोक लगा दी गई। भारत की सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी (सीएआरए) की तत्काल प्लेसमेंट श्रेणी के तहत दो या तीन बच्चों को गोद लिया जा सकता था। बहरहाल, ऑस्ट्रेलिया ने फिर इस प्रोग्राम को चलाने की पेशकश की है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal10 Sep, 2018

 

 

भारत में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया
भारत में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया आसान नहीं है। बच्चा गोद लेने के लिए कानून कई मानकों पर खरा उतरना पड़ता है। इसके बाद ही बच्चा गोद लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया में पूरे दस्तावेज होने पर कम से कम 3 महीने का वक्त लग सकता है।
ऑस्ट्रेलियन इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर (एआईएचडब्ल्यू) की 2016-17 की रिपोर्ट के अनुसार किसी जोड़े के लिए दूसरे देश का बच्चा गोद लेने में औसतन 2 साल 9 महीने तक का वक़्त लगता है।

 

 

2010 में इस वजह से करना पड़ा था बंद

अक्टूबर 2010 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ चलने वाले अडॉप्शन प्रोग्राम पर रोक लगा दी थी। दरअसल उस समय ऐसे आरोप लगे थे कि इस इंटर-कंट्री अडॉप्शन प्रोग्राम के तहत बच्चों की तस्करी हो रही है। इस तस्करी के पीछे भारत की कुछ जानी मानी कंपनियों का नाम सामने आया था। इसके बाद भारत ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 और अडॉप्शन रेग्युलेशन 2017 के तहत भारत में दूसरे देशों के नागरिकों के लिए बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में सख्त कर दिया। फिलहाल इस प्रोग्राम को लेकर अभी कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है……Next

 

 

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