भारत में कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनपर कई दशकों से सियासत हो रही है। ऐसा ही मुद्दा है अयोध्या विवाद जिसपर अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। चुनाव में सभी पार्टियां इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करती हैं। बहरहाल, अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन मध्यस्थों के नाम तय कर दिए हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस फकीर मुहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्रीश्री रविशंकर और सीनियर अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल हैं। तीन सदस्यों के इस पैनल के सामने दोनों पक्षकार अपनी बात रखेंगे और ये मध्यस्थता फैजाबाद में होगी। ऐसे में आम लोगों की दिलचस्पी पैनल के इन सदस्यों के बारे में जानने की बढ़ गई है। आइए, जानते हैं कौन हैं ये लोग।
मुहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला
पूर्व जस्टिस फकीर मुहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला मूल रूप से तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में कराईकुडी के रहने वाले हैं। खलीफुल्ला का जन्म 23 जुलाई 1951 को हुआ था। उन्होंने 20 अगस्त 1975 को अपने वकालत कॅरियर की शुरुआत की। वह श्रम कानून से संबंधित मामलों में सक्रिय वकील रहे थे। खलीफुल्ला को पहले मद्रास हाईकोर्ट में स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्हें 2000 में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के तौर नियुक्त किया गया और 2011 को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।
श्री श्री रविशंकर
आर्ट्स ऑफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर देश के प्रमुख आध्यात्मिक गुरुओं में से एक हैं। इससे पहले भी उन्होंने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कोशिश की थी, इसके लिए वह अयोध्या भी गए थे और पक्षकारों से मुलाकात की थी। श्री श्री रविशंकर इससे पहले भी लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं और उन्होंने इस मसले को सुलझाने के लिए एक फॉर्मूला भी पेश किया था। श्री श्री रविशंकर का नाम जैसे ही मध्यस्थ के रूप में सामने आया तो कई पक्षों और बड़े साधु-संतों ने उनका विरोध किया।
श्रीराम पंचू
अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए बनी कमेटी के तीसरे सदस्य हैं श्रीराम पंचू। श्रीराम पंचू वरिष्ठ वकील हैं। श्रीराम पंचू मध्यस्थता के जरिए केस सुलझाने में माहिर रहे हैं। उन्होंने मध्यस्थता कर केस सुलझाने के लिए द मीडिएशन चैंबर (The Mediation Chambers) नाम की एक कानूनी संस्था भी गठित की है। इस संस्था का काम ही आपसी सुलह के जरिए कोर्ट से बाहर मुद्दों को सुलझाना है।
श्रीराम पंचू एसोसिएशन ऑफ इंडियन मीडिएटर्स के अध्यक्ष हैं। वह बोर्ड ऑफ इंटरनेशनल मीडिएशन इंस्टीट्यूट के बोर्ड में भी शामिल रहे हैं। भारत की न्याय व्यवस्था में मध्यस्थता को शामिल करने में उनका अहम योगदान रहा है।
अब देखना ये है कि दशकों से चले आ रहे इस मुद्दे को सुलझा पाने में पैनल कामयाब हो पाता है या नहीं।…Next
Read More :
‘मैं बड़े भाई की तरह गुजारिश करता हूं, यहां से चले जाइए’ पुलवामा पुलिस ऐसे रोक रही है पत्थरबाजों को
सुप्रीम कोर्ट में घूमने के लिए जा सकते हैं आम लोग, जानें कैसे मिल सकती है एंट्री
क्या है RBI एक्ट में सेक्शन 7, जानें सरकार रिजर्व बैंक को कब दे सकती है निर्देश
Read Comments