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भारत के आधुनिक संत और उनका साम्राज्य


हिन्दुस्तान एक धार्मिक देश है. धर्म यहां की संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है लेकिन धार्मिक होने की इसी वजह ने इसे अंधविश्वासी लोगों की दुनिया में भी बदल दिया है. आज देश में अगर आप एक गरीब से भी धर्म के नाम पर कुछ मांगेंगे तो वह दे देगा. धर्म और बाबाओं के नाम पर भारत में किसी को लूटना सबसे आसान है. यहां के बाबाओं ने भगवान के नाम का सहारा लेकर कई बार बाबाओं और ऋषियों के पवित्र कार्यों को अपमानित किया है. कुछ समय पहले एक बाबा द्वारा सेक्स रैकेट चलाने का मामला सामने आया था तो समय-समय पर ऐसे बाबाओं की खबरें सुर्खियों में आ ही जाती हैं जो इंसान के भेष में भेड़िए होते हैं.


लेकिन हम यहां यह नहीं कह रहे हैं कि सभी बाबा एक समान होते हैं और पापी होते हैं बल्कि हम यह कह रहे हैं कि कई  बार बाबाओं का नाम लेकर कई गैर-सामाजिक लोग इस पवित्र जिम्मेदारी को दूषित करते हैं. लेकिन कुछ बाबा ऐसे भी होते हैं जिनका देश में काफी नाम है और उनके पास आज के समय में इतना धन है जितना कोई सोच भी नहीं सकता. अगर इन बाबाओं को अलीबाबा कहा जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी. अभी कुछ दिन पहले पुट्टापर्थी के साईं बाबा के खजाने को देखकर तो ऐसा लगा कि एमबीए, बीटेक करना बकवास है, इससे तो बेहतर है भगवा पहन लो. आइए नजर डालते हैं भारत के कुछ प्रसिद्ध बाबाओं और उनकी संपत्ति पर.


Baba ramdevबाबा रामदेव : शून्य से शिखर तक का सफर बाबा रामदेव ने बहुत ही संघर्ष से किया. हरियाणा में पैदा हुए बाबा रामदेव ने अपना घर छोड़ कर योग की शिक्षा ली और हिमालय में जाकर ध्यान और धारणा का अभ्यास करने निकल गए. वहां से सिद्धि प्राप्त कर प्राचीन पुस्तकों व पाण्डुलिपियों का अध्ययन करने हरिद्वार आकर कनखल के कृपालु बाग आश्रम में रहने लगे. यहीं उन्हें अपने जीवन का निर्णायक मोड़ मिला. आस्था चैनल ने उन्हें योगा सिखाने के लिए योगाचार्य की भूमिका पर रखा और देखते ही देखते बाबा रामदेव देश-विदेश में लोगों को योगा सिखाते नजर आने  लगे.


बाबा ने पंतजलि योगपीठ और दिव्य फार्मेसी की स्थापना की जिससे उन्होंने अपने योगा के ज्ञान और आयुर्वेदिक दवाइयों को देश-विदेश में फैलाया. बाबा की आमदनी भी हमेशा से चर्चा का विषय रही है. कहा जा रहा है कि साल 2009-2010 में बाबा रामदेव (Ramdev)  के ट्रस्ट का टर्नओवर 1100 करोड़ रु. था. रामदेव से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं की कुल पूंजी करीब 426 करोड़ रुपए है. 426 करोड़ की दौलत के बादशाह रामदेव को बाबा कहना शायद गलत होगा क्यूंकि वह तो देश के बड़े करोड़पतियों में से एक हुए. पिछले 17 वर्षों में बाबा द्वारा संचालित विभिन्न  ट्रस्टों ने कुल 1177 करोड़ रुपए कमाए हैं.


Sri Sri Ravishankarश्री श्री रविशंकर : श्री श्री रविशंकर भारत के एक और आध्यामिक नेता एवं मानवतावादी धर्मगुरु हैं. “आर्ट ऑफ लिविंग” के संस्थापक श्री रविशंकर चार साल की उम्र में ही भगवदगीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे. बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था. रविशंकर लोगों को सुदर्शन क्रिया सिखाते हैं. इसे सिखाने के कोर्स की फीस हर देश में अलग-अलग है. इसके बारे में वो कहते हैं कि 1982 में दस दिवसीय मौन के दौरान कर्नाटक के भद्रा नदी के तीरे लयबद्ध सांस लेने की क्रिया एक कविता या एक प्रेरणा की तरह उनके जेहन में उत्पन्न हुई. उन्होंने इसे सीखा और दूसरों को सिखाना शुरू किया.


1982 में श्री श्री रविशंकर ने आर्ट आफ लिविंग की स्थापना की. यह शिक्षा और मानवता के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करती है. उन्होंने 1997 में ‘इंटरनेशनल एसोसियेशन फार ह्यूमन वैल्यू’ की स्थापना की जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है जो लोगों को आपस में जोड़ती हैं.


अगर श्री श्री रविशंकर की संपत्ति पर नजर डालें तो यह 500 करोड़ से भी ज्यादा की है. 500 करोड़ की संपत्ति के मालिक रविशंकर लोगों को जीने का तरीका सिखाते हैं.


Mata Amritanandmayiमाता अमृतानंदमयी : जादू की झप्पी से आध्यात्मिक अनुभूति व स्नेह बांटने वाली को उनके भक्त प्रेम से ‘अम्मा’ कहकर पुकारते हैं. माता का निश्छल प्रेम उन्हें सभी आध्यात्मिक नेताओं से अलग करता है. 27 सितम्बर, 1953 को केरल के एक छोटे से गांव आल्लपाड में एक गरीब मछुआरे परिवार में जन्मी माता अमृतानंदमयी एक गरीब परिवार से हैं. अम्मा जब छः माह की हुईं तभी इन्होंने बोलना व चलना सीख लिया था और तीन वर्ष की होते-होते भक्तिगीत गाना भी. धीरे धीरे माता अमृतानंदमयी लोगों के बीच लोकप्रिय होती गईं. लोगों को गले लगाकर उनके दुख हरने वाली माता अमृतानंदमयी ने 1987 से अपने अनुयायियों के अनुग्रह पर देश-विदेश के आयोजनों में शामिल होना शुरू किया.


देश-विदेश के विभिन्न संगठनों में हिस्सा लेनी वाली माता अमृतानंदमयी ने माता अमृतानंदमयी मठ, माता अमृतानंदमयी सेंटर, अम्मा-यूरोप, अम्मा-जापान, अम्मा-केन्या, अम्मा-ऑस्ट्रेलिया आदि की स्थापना की है. यह सभी संगठन संयुक्त रूप से एम्ब्रेसिंग द वर्ल्ड (Embracing the World) के रूप में जाने जाते हैं.


एक अनुमान के अनुसार मां अमृतानंदमयी की दौलत करीब 400 करोड़ की है. माता अमृतानंदमयी को बड़ी मात्रा में अनुयायियों के द्वारा दान में धन मिलता है.


saint-asaram-bapuसंत आसाराम बापू : संत आसाराम बापू भारत की सबसे ताकतवर शख्सियतों में से एक हैं. हमेशा विवादों में रहने वाले संत आसाराम बापू की छवि उनके भक्तों के बीच भगवान से भी ज्यादा है. 17 अप्रैल, 1941 को जन्मे आसाराम बापू देश के सबसे विवादित धार्मिक नेता के रुप में जाने जाते हैं जिनके श्रद्धालुओं की संख्या देखते ही बनती है. विभाजित सिंध शहर में जन्मे संत आसाराम बापू के बचपन का नाम आसुमल शिरुमलानी (Asumal Sirumalani) था. वृंदावन के स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज (Swami Sri Lilashahji Maharaj) से शिक्षा लेकर उन्होंने भक्ति की राह चुनी. आत्मबोध के लिए आसाराम बापू ने हिमालय की चोटी पर जाकर ध्यान किया था. इसके बाद वह देश में घूम-घूमकर सत्संग करने लगे. इनके सत्संगों से लोगों को मानसिक सुख मिलता है. देश-विदेश में आसाराम बापू ने 1300 से ज्यादा श्री योग वेदांत सेवा समितियों (Sri Yog Vedant Seva Samitis) का गठन किया है.


संत आसाराम बापू की वार्षिक कमाई का आंकड़ा 500 करोड़ के ऊपर है. माना जाता है वह साल में 15 करोड़ तो अपने सत्संग से ही कमा लेते हैं.


ram rahimराम रहीम : सन्त गुरमीत राम रहीम सिंह को उनके भक्त भगवान मानते हैं. “डेरा सच्चा सौदा” के संस्थापक सन्त गुरमीत राम रहीम सिंह के कारनामों पर अगर नजर डालें तो वह आजकल के भ्रष्ट बाबाओं की लिस्ट में शामिल हो जाते हैं. कभी सिक्खों के गुरु की हत्या करने के मामले में तो कभी कई बार रेप और बलात्कार जैसे मामलों में लिप्त रहने वाले सन्त गुरमीत राम रहीम सिंह को संत मानना हमारे समाज के अंधविश्वास को प्रकट करता है.


15 अगस्त, 1967 को राजस्थान के गंगानगर में जन्मे राम रहीम के माता-पिता संत शाह सतराम जी के भक्त थे. 23 सितम्बर, 1990 को संत शाह सतराम जी ने घोषणा की कि गुरमीत राम रहीम सिंह ही उनके आध्यात्मिक कार्यों को आगे बढ़ाएं और तब से गुरमीत राम रहीम सिंह ने देश में अपनी शिक्षा देनी शुरू की.


संत गुरुमीत राम रहीम की संपत्ति करीब 300 करोड़ से भी ज्यादा है. जगह-जगह सत्संगों के अलावा माना जाता है कि काफी धन इनके पास गैर-कानूनी तरीके से भी इकठ्ठा किया गया है.


morari bapuमोरारी बापू : वर्षों से देश में कथावाचक की भूमिका निभा कर लोगों के दिलों में भक्ति फैलाने वाले मोरारी बापू एक सच्चे धार्मिक गुरु हैं. अखंड रामायण और रामचरित मानस का पाठ करने वाले मोरारी बापू अपनी कथाओं में मुहावरों और शेरों का बखूबी प्रयोग करते हैं जिससे कथा रोचक हो जाती है. मोरारी बापू का जन्म 25 सितम्बर, 1946 के दिन महुआ के समीप तलगारजा (सौराष्ट्र) में वैष्णव परिवार में हुआ था. घर से स्कूल तक की 5 किलोमीटर की दूरी वह अपने दादा द्वारा रामायण सुनकर पूरी करते थे. ऐसा प्रतिदिन होता था जिसकी वजह से उन्हें रामायण कंठस्थ हो गई थी.


14 वर्ष की आयु में मोरारी बापू ने पहली बार एक महीने तक रामायण का पाठ किया. इसके बाद से मोरारी बापू देश-विदेश में रामायण की कथा का पाठ करने लगे. आज अमेरिका से लेकर केन्या और विश्व के कई अन्य देशों में मोरारी बापू रामायण का पाठ करते नजर आते हैं. हालांकि इनके पास दुनिया भर में आश्रमों और ट्रस्ट का विशेष नेटवर्क नहीं है लेकिन फिर भी इनकी संपत्ति 300 करोड़ की आंकी जाती है जो इन्हें अधिकतर दान में मिलती है.


Sri Satya Saiश्री सत्य साईं : क्या आपने कभी इंसान को भगवान बनते हुए देखा है? अगर नहीं तो श्री सत्य साईं को देख लीजिए. एक छोटे से बालक से दुनिया के भगवान बनने तक का सफर यूं तो हमने अधिकतर किताबों और कहानियों में ही पढ़ा है पर श्री सत्यसाई इसका अपवाद थे. कभी संस्कृत का एक शब्द भी ना जानने वाले साईं बाबा के जीवन में एक बार ऐसा चमत्कार हुआ कि वह संस्कृत में श्लोक पढ़ने लगे. इंसान का खुद को भगवान बताना तो पागलपन होता है लेकिन उसी इंसान का अपनी बात को सिद्ध करना एक चमत्कार होता है.


आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में 23 नवंबर, 1926 को सत्यनारायण राजू का जन्म एक आम मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. यही सत्यनारायण राजू आगे जाकर सत्य साईं बना. 23 मई, 1940 को उनकी दिव्यता का लोगों को अहसास हुआ. सत्य साईं ने घर के सभी लोगों को बुलाया और चमत्कार दिखाने लगे. उन्होंने अपने आप को शिरडी वाले साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया. शिरडी के साईं बाबा, सत्य साईं की पैदाइश से आठ साल पहले ही गुजर चुके थे. खुद को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित करने के बाद सत्य साई बाबा के पास श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी.


श्री सत्यसाईं ट्रस्ट की स्थापना कर सत्य साईं ने इसे दुनियाभर में फैला दिया. लोगों द्वारा धर्म के नाम पर सत्य साईं बाबा के पास इतना धन आने लगा जिसकी गिनती करना मुश्किल हो गया. एक अनुमान के मुताबिक सत्य साईं बाबा ट्रस्ट के पास 40 हजार करोड़ की संपत्ति है. यह वह धन है जो जनता के सामने खोला गया. अभी और ना जाने कितना धन पुट्टापर्थी  की गुफाओं में गुम है. 24 अप्रैल, 2011 को सत्य साईं बाबा ने जीवन का साथ छोड़ दिया था पर उनकी 400 करोड़ की संपत्ति तो उनके पीछे ही रह गई.


Swami Jayendra Saraswatiकांची कामकोटि के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती : आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित प्राचीन मठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती देश के सबसे अमीर बाबाओं में गिने जाते हैं. संपत्ति और धार्मिक वजह से ज्यादा कांची कामकोटि के शंकराचार्य देश में अपनी राजनैतिक पकड़ के लिए जाने जाते हैं. चाहे कांग्रेस हो या भाजपा या कोई अन्य दल, उनके बीच वार्ता के लिए शंकराचार्य ने कई बार मध्यस्थ की भूमिका निभाई है.


वैसे भी हमारे देश में शंकराचार्यों की भूमिका हमेशा अहम रही है और कांची कामकोटि के शंकराचार्य की राजनैतिक भूमिका तो बहुत अहम है. जयेंद्र सरस्वती ने एक समय में बाबरी मस्जिद विवाद को हल करने में अगुआई की थी. जयेंद्र सरस्वती कई ट्रस्टों के मालिक भी हैं जिसकी संपत्ति अगर आंकी जाए को कई करोड़ होगी.


osho-rajneeshओशो रजनीश : रजनीश चन्द्र मोहन एक विवादास्पद नए धार्मिक (आध्यात्मिक) आन्दोलन के लिये मशहूर हुए और भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में रहे. ओशो के नाम से मशहूर ओशो रजनीश ने दुनिया को जीने का नया रास्ता दिखलाया. भोग से योग का रास्ता दिखाने वाले वह अनोखे संत थे. उनका कहना था भोग इतना कर लो कि मन तृप्त हो जाए और आप स्वतः योग की ओर आकर्षित हो जाएंगे.


11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश में जन्मे ओशो रजनीश को कई लोग ‘सेक्स गुरु’ के नाम से भी जानते हैं. ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना कर उन्होंने अपनी शिक्षा को देश-विदेश में फैलाया. आज उनके भारत स्थित आश्रम में देश और विदेश से कई युवा आकर शरण लेते हैं तथा मनमाफिक जीवन जीते हैं. ओशो की दुनिया में सब मान्य है. ड्रग लीजिए, सेक्स कीजिए और दिन भर आश्रम में पड़े रहिए शायद यही इस आश्रम की विशेषता है.


ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन आज देश में कई जगह है जिसकी सदस्यता पाने के लिए लोगों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है और यही वजह है कि 1990 में ओशो की मृत्यु के बाद भी इस संस्थान को सालाना करोड़ों का फायदा होता है. ओशो रजनीश ने जो किताबें लिखी थी और जो भाषण दिए थे उनके ऑडियो आज भी बाजार में बिकते हैं.


Mahrishi yogiमहर्षि महेश योगी : विश्व के 150 देशों में भारत और यहां की संस्कृति का रुतबा कायम करवाने वाले महर्षि महेश योगी ने टीएम तकनीक से शिक्षा देकर विश्व को चकित कर दिया था. 12 जनवरी, 1918 को छत्तीसगढ़ में जन्मे महेश योगी का मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की. उन्होंने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की. महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी. हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् 1955 में उन्होंने टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की.


देश से अधिक वह विदेश में लोकप्रिय थे. नीदरलैंड में तो उनके द्वारा बनाई गई मुद्रा “राम” का चलन भी है. नीदरलैंड की डच दुकानों में एक राम के बदले दस यूरो मिल सकते हैं. ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस के पास इतनी संपत्ति है जितना भारत के एक राज्य की वार्षिक कमाई. 250 अरब की संपत्ति के मालिक महर्षि महेश योगी कई कामों में पैसा लगाते थे जैसे शिक्षा और प्रॉपर्टी. बिटलस के साथ उनकी निकटता की वजह से ही उन्हें विदेशों में इतनी सफलता मिली. लेकिन उनके पास जो बेशुमार दौलत है उसमें से ज्यादातर पैसा धर्म के नाम पर ही कमाया गया है.


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