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यह नौ दिन का बच्चा क्यों बना है डॉक्टरों के लिए चुनौती, पूर्व मुख्यमंत्री भी ले रही हैं रुचि

बात दो साल पहले की है जब 50 दिन के राहुल ने अपनी दुर्लभ बीमारी से सबका ध्यान अपनी ओर खिंचा था. बीमारी का नाम था स्पॉनटेनस ह्यूमन कॉमबस्टन (एसएचसी). इस तरह की बीमारी में शिशु का शरीर बिना किसी बाहरी स्रोत के जला हुआ मिलता है. तब यह बीमारी डॉक्टरों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती साबित हुई थी.


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ठीक दो साल बाद यही चुनौती डॉक्टरों को तब मिली जब राहुल के भाई को भी इसी तरह की बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया. राहुल का भाई नौ दिन का है और चेन्नई के किलपॉक जनरल हॉस्पीटल के डॉक्टर उसकी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.


दरअसल यह मामला तब सामने आया जब प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में नौ दिन पहले इस बच्चे का जन्म हुआ. जन्म के कुछ दिन बाद शिशु के पैर का कुछ हिस्सा जला हुआ मिला. जिसके बाद तुरंत तमिलनाडु के जिले विल्लुपुरम में स्थित सरकारी अस्पताल में इसे भर्ती कराया गया जहां डॉक्टर शिशु को बचाने में असमर्थ दिखे.


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पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के पास पहुंचा तब इसे तुरंत पूर्व मुख्यमंत्री की सलाह पर किलपॉग जनरल हॉस्पिटल भेजा गया.


किलपॉग जनरल हॉस्पिटल में आगे की उपचार के लिए इस शिशु को बीते शनिवार रात लाया गया जहां विशेषज्ञ डॉ. सथ्यामूर्थी के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम इस बच्चे पर ध्यान दे रही है. दो साल पहले जब यही बीमारी इसके भाई को हुआ था तब बीमारी को ठीक करने में डॉक्टरों ने सफलता हासिल की थी. सभी को उम्मीद है कि उसी परिवार के इस दूसरे बच्चे को बचाने में भी डॉक्टरो को सफलता जरूर मिलेगी….Next


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