भारतीय वास्तुविद बालकृष्ण दोशी को आर्किटेक्चर के प्रित्जकर प्राइज से सम्मानित किया जाएगा। आर्किटेक्चर के नोबेल के नाम से ख्यात इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा बुधवार को की गई। दोशी को प्रित्जकर प्राइज से सम्मानित किए जाने की घोषणा के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर बधाई दी है। 90 वर्षीय दोशी उन लोगों जीवित आर्किटेक्ट्स में से एक हैं जिन्होंने ली कार्बूजियर के साथ काम किया है। दोशी ने टिकाऊ वास्तुकला और सस्ते आवास के निर्माण द्वारा अपने काम को प्रतिष्ठित किया और आधुनिकतावादी डिजाइन को भारत लेकर आए जो पारंपरिकता में निहित है। पुणे में जन्मे 90 साल के दोशी इस सम्मान को प्राप्त करने वाले पहले भारतीय हैं। इससे पहले दुनिया के मशहूर आर्किटेक्ट जाहा हदीद, फ्रैंक गहरी, आईएम पेई और शिगेरू बान के नाम शामिल हैं। ऐसे में चलिए एक नजर उनके सफऱ पर।
क्या करते हैं बालकृष्ण
बालकृष्ण ने बहुत सारे काम किए हैं जिनमें कॉम्प्लेक्स, आवासीय योजना, सार्वजनिक स्थल, गलियारे और निजी आवास शामिल हैं। उन्होंने बेंगलुरू के एक टॉप मैनेजमेंट स्कूल की बिल्डिंग डिज़ाइन की है. इसके अलावा उन्होंने सस्ते घर के सपने को भी साकार किया है। उन्होंने इंदौर में 6500 घर डिजाइन किए हैं जिनमें आज माध्यम और कम आय वाले परिवारों के करीब 80 हज़ार सदस्य रहते हैं। यह देश की सबसे सस्ती आवास योजना है।
जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई
बालकृष्ण दोशी ने 1947 में मुंबई के ख्यातिप्राप्त संस्थान सर जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई की। उन्होंने आधुनिक वास्तुकला के ख्यातिप्राप्त स्विस-फ्रेंच आर्किटेक्चर ली करबुसिएर के साथ भी काम किया। बाद में वो 1954 में भारत लौट आएं। उन्होंने चंडीगढ़ और अहमदाबाद के आधुनिकीकरण के लिए काम किया। उन्होंने 20वीं सदी के सबसे बड़े आधुनिक डिजाइनर लुइस काह्न के साथ मिलकर भी काम किया।
कई देशों में काम से हैरान कर चुके हैं
बालकृष्ण ने 1954 में कहा था, ऐसा लगता है कि मुझे प्रण लेना चाहिए कि मैं कम आय वाले लोगों के सस्ते और अच्छे घर का सपना पूरा करूंगा और इसे ज़िंदगीभर याद रखूं’। बालकृष्ण ने आईआईएम बंगलूरू और लखनऊ, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद का द इंस्टिट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के अलावा भारत भर में कई कैंपस सहित इमारतों को डिजायन किया है। जिसमें कुछ कम लागत वाली परियोजनाए भी शामिल हैं।…Next
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