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मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन का देहदान का फैसला, मृत्यु के बाद मेडिकल रिसर्च के लिए एम्स को मिलेगा शरीर

बांग्लादेश की मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन वैसे तो अक्सर अपने विवादित बयानों की वजह से सुर्खियों में रहत हैं। लेकिन इस बार उन्होंने वो काम किया जिसके लिए उन्हें सराहा जा रहा है और इस बार कोई बयान नहीं दिया न ही कोई विवादित ट्वीट किया बल्कि एक ऐसा काम किया जो हर किसी के लिए करना संभव नहीं है। दरअसल तस्लीमा नसरीन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपनी मृत्यु के बाद शरीर को दफनाने के बजाए, एम्स में मेडिकल रिसर्च के लिए दान देने का फैसला किया है। उनके इस फैसले ने कई लोगों को उनका मुरीद बना दिया और लोग उनके फैसले को सम्मान भी दे रहे हैं।

Shilpi Singh
Shilpi Singh25 May, 2018

 

 

तस्लीमा अपना शरीर दान करेंगी

तस्लीमा नसरीन ने अपने सोशल मीडिया अकांउंड के जरिए एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ एनॉटमी की डॉनर कार्ड स्लिप की तस्वीर सझा करते हुए लिखा है कि, ‘मैं अपने शरीर को दान देती हूं ताकि, मेरी मृत्यु के बाद एम्स में मेडिकल रिसर्च में इसका इस्तेमाल हो सके’। उनके इस कदम पर कई लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं और उनके इस कदम के लिए उन्हें बधाइंया भी दी जा रही है।

 

 

बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती हैं

बांग्‍लादेश में पैदा हुई तस्लीमा अपने बेबाक अंदाज और बोल के लिए जानी जाती है, तस्‍लीमापनी टिप्पणियों को लेकर कट्टरपंथियों के निशाने पर रही हैं। इसके साथ ही तस्लीमा फेमिनिज्म और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के मुद्दे पर काफी मुखर रही हैं।

 

 

कट्टरपंथियों को नहीं पसंद हैं तस्लीमा

उपन्यास लज्जा में इस्लाम पर की गई टिप्पणी से तस्लीमा ने कट्टरपंथी मुस्लिमों को नाराज कर दिया था, जिस वजह से उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा और कट्टरपंथियों ने उनकी मौत पर इनाम भी घोषित कर दिया था। इसके बाद साल 1994 में वह स्वीडन चली गई थी और वर्ष 2005 में भारत आने के बाद से वह यहीं पर रह रहीं हैं। तस्लीमा के पास स्वीडन की नागरिकता भी है।

 

 

मुस्लिम शांति का धर्म नहीं- तस्लीमा 

यूं तो तस्लीमा भी एक मुस्लिम हैं, लेकिन अब वह खुद को नास्तिक मानती हैं। देश में विभिन्न मुद्दों पर तस्लीमा नसरीन खुलकर अपनी राय रखने के लिए जानी जाती हैं। कई बार तस्लीमा ने मुस्लिम धर्म को लेकर अपनी आवाज उठाई जिस वजह से उन्हें कई बार विरोध झेलने पड़े हैं। तस्लीमा ने मुस्लिम धर्म को शांति का धर्म नहीं माना था। ये उस दौर की बाता है जब ढाका में कुछ आतंकियों ने एक रेस्त्रां पर हमला किया था।…Next

 

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