एक बेहद रहस्यमय शख्स और बिकनी किलर के नाम से कुख्यात चार्ल्स सोभराज का जन्म वियतनाम में हुआ था. वियतनामी मां और भारतीय पिता की संतान चार्ल्स सोभराज का वास्तविक नाम हतचंद भाओनानी गुरुमुख चार्ल्स सोभराज है. 1970 के दशक में दक्षिणपूर्वी एशिया के लगभग सभी देशों में विदेशी पर्यटकों को अपना शिकार बनाने वाला चार्ल्स सोभराज चोरी और ठगी का भी माना हुआ खिलाड़ी है. अन्य सीरियल किलर की तरह चार्ल्स सोभराज ना तो क्रोधी और ना ही हिंसक स्वभाव का है और ना ही उसके परिवार का अपराध की दुनियां से कभी भी लेना-देना रहा है. मानसिक विकारों से ग्रस्त चार्ल्स सोभराज मात्र अपनी जीवन शैली को रोचक और उत्तेजक बनाए रखने के लिए हत्याएं, चोरी धोखाधड़ी करता आया है. वर्ष 1976 से 1997 तक चार्ल्स शोभराज, भारतीय जेल में सजा काट चुका है. आपराधिक गतिविधियों से निवृत्त होने के बाद वह पेरिस चला गया. जहां उसका स्वागत एक सिलेब्रिटी की तरह हुआ. अप्रत्याशित तरीके से नेपाल आने के बाद उसे गिरफ्तार कर कई मुकद्दमे चलाए गए. 12 अगस्त, 2004 को चार्ल्स सोभराज को आजीवन कारावास की सजा दी गई. नेपाली सर्वोच्च न्यायालय ने भी 30 जुलाई, 2010 को उसकी इस सजा को बरकरार रखा.
चार्ल्स सोभराज का आपराधिक सफर
पिता का परिवार को छोड़कर जाना और माता का अन्य पुरुष के साथ विवाह कर लेने के कारण चार्ल्स सोभराज ने उपेक्षित रहकर अपना बचपन व्यतीत किया था. चार्ल्स की माता ने एक फ्रांसीसी सेनानी के साथ विवाह किया था. माता-पिता के उपेक्षित व्यवहार के कारण किशोरावस्था में ही चार्ल्स सोभराज ने अपराध की दुनियां में कदम रख दिया था. वर्ष 1962 में पेरिस में गाड़ियां चुराने और गैरकानूनी तरीके से उन्हें बेचने के कारण चार्ल्स सोभराज पहली बार जेल गया. इसके बाद उसके अपराध करने और फरार होने का सिलसिला लगातार बढ़ता गया. अपनी पहली जेल यात्रा के दौरान चार्ल्स सोभराज जेल में एक अमीर जेल स्वयंसेवक फेलिक्स के संपर्क में आया और उसका अच्छा मित्र बन गया. पैरोल पर रिहा होने के बाद फेलिक्स के साथ चार्ल्स सोभराज पेरिस के बड़े-बड़े अपराधियों के संपर्क में आ गया. डकैतियों और पैसे की हेर-फेर करने के कारण चार्ल्स सोभराज ने भी बहुत सारा धन एकत्र कर लिया था. इसी दौरान उसने एक पारसी युवती से प्रेम विवाह किया. झूठे कागजात और पासपोर्ट बनवाकर चार्ल्स और उसकी पत्नी चंतल, पुलिस से बचते और रास्ते में मिलने वाले लोगों को लूटते हुए 1970 में मुंबई पहुंचे. मुंबई में चंतल ने एक बेटी को जन्म दिया. इधर चार्ल्स सोभराज ने भी अपनी आपराधिक गतिविधियों को सक्रिय रखा. अब उसने नशीली दवाओं की तस्करी करना भी शुरू कर दिया था. चार्ल्स को जुआ खेलने की आदत भी पड़ गई थी. चोरी से हुआ मुनाफा वह जुए में हार जाता. होटल अशोक में एक असफल हथियारबंद डकैती के कारण चर्ल्स सोभराज गिरफ्तार किया गया. लेकिन उसकी पत्नी ने बीमारी का बहाना बनाकर उसे रिहा करवा लिया. लेकिन उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया. उसने अपने पिता से जमानत के लिए पैसे मंगवाए और फिर काबुल, अफगानिस्तान चला गया. इस समय तक सोभराज को जेल जाना और फिर रिहा होना एक खेल लगने लगा था. काबुल में रहते हुए उसने हिप्पियों के समूहों को लूटना शुरू किया. एक बार फिर वह जेल से भागने में कामयाब रहा. अपने परिवार को छोड़ चार्ल्स सोभराज ईरान चला गया. उसकी पत्नी ने भी उसे दोबारा ना मिलने की कसम खा ली थी. आधिकारिक तौर पर चार्ल्स शोभराज ने 10 पासपोर्ट चुराए और इन झूठे पासपोर्ट के सहारे पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के सभी देशों की यात्राएं की. इस्तानबुल में उसे अपना छोटा भाई एन्ड्रे मिला. एंड्रे और चार्ल्स ने मिलकर टर्की और ग्रीस में चोरियां की. एथेन्स में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. हमेशा की तरह चार्ल्स तो पुलिस से बच गया लेकिन उनका भाई गिरफ्तार हो गया. हर बार पुलिस के हाथ से बच निकलने के कारण चार्ल्स सोभराज को सर्पेंट (सांप) के नाम से भी जाना जाने लगा.
बिकनी किलर के रूप में चार्ल्स
थाइलैंड में रहते हुए चार्ल्स सोभराज मैरी एंड्री के संपर्क में आया जो उसकी प्रेमिका बनी और आपराधिक वारदातों में उसका निरंतर सहयोग करती रही. 1970 के दशक में उसने विदेशी पर्यटकों को अपना निशाना बनाना शुरू किया. वह उनका मित्र बनकर उनके लिए नशीली दवाइयां देता, फिर उनकी हत्या कर देता. विदेशी महिलाएं उसका मुख्य शिकार बनतीं. माना जाता है कि 1972-1976 के बीच उसने 24 लोगों की हत्या की थी. वर्ष 1976 में भारत घूमने आए एक फ्रेंच समूह को भी चार्ल्स सोभराज ने मारने का असफल प्रयत्न किया. थाइलैंड की सरकार चार्ल्स सोभराज पर हत्याओं से संबंधित मुकद्दमा चलाना चाहती थी, जबकि भारत की सरकार चार्ल्स सोभराज को पकड़कर उस पर और मैरी पर इजरायली पर्यटक की हत्या के आरोप में ट्रायल चला उसे सात साल की सजा सुनाई. 1986 में चार्ल्स अपने साथियों के साथ नई दिल्ली की तिहाड़ जेल से भागने में कामयाब रहा. लेकिन एक महीने के भीतर ही उसे पकड़ लिया गया. 1997 में सजा पूरी करने के बाद चार्ल्स सोभराज रिहा होने के बाद फ्रांस चला गया. वर्ष 2003 में नेपाल आने के बाद उसे 1975 में हुए दो हिप्पियों के हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दी गई.
चार्ल्स सोभराज और निहिता बिस्वास
वर्ष 2008 में नेपाल में सजा काटने के दौरान चार्ल्स सोभराज ने अपनी से बहुत छोटी आयु की नेपाली युवती, निहिता बिस्वास के साथ जेल में ही विवाह संपन्न किया. हालांकि नेपाल जेल प्रशासन इस को बात को लगातार नकारता ही रहा है. लेकिन निहिता और उसके परिवार वाले चार्ल्स सोभराज के साथ उसके संबंध को अपनी रजामंदी दे चुके हैं.
एक कुख्यात अपराधी होने के बावजूद चार्ल्स सोभराज को अत्याधिक लोकप्रियता हासिल हुई है. अपराधों और हत्याओं जैसी वारदातों को अंजाम देते हुए चार्ल्स ने जिन तकनीकों और रणनीति का प्रयोग किया वह अपने आप में हैरानी पैदा करने वाली हैं. चार्ल्स के जीवन पर अब तक चार किताबें लिखी गईं और तीन डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं.
Read Comments