शारदा चिट फंड में तृणमूल कांग्रेस के मंत्रियों की संलिप्तता पहले ही ममता सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाली थी. अब एक नया मुद्दा जो सामने आया है वह है ममता के भतीजे और तृणमूल यूथ कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी की चिट फंड कंपनी चलाने का मुद्दा. खबरों में है कि अभिषेक रीयल स्टेट और माइक्रो फाइनेंस आधारित एक कंपनी के मालिक हैं जिसने बहुत कम समय में 300 करोड़ तक का मुनाफा कमाया है. विरोधी इसे रीयल स्टेट कंपनी के नाम पर चिट फंड कंपनी चलाये जाने की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि कंपनी को न सिर्फ रीयल स्टेट और माइक्रो फाइनेंस का कारोबारी बताया गया है बल्कि इसकी और भी कई शाखाएं हैं.
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पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ममता सरकार को चिट फंड के कारोबार में सहयोगी बताया है. भट्टाचार्य का कहना है कि अपने शासन के कार्यकाल में उन्होंने चिट फंड कंपनियों पर रोक की दिशा में कई कदम उठाए. 1992 में उन्होंने इस संबंध में लगभग 100 लोगों की गिरफ्तारियां कीं, 96 कंपनियां बंद करवाईं. उन्होंने हाई कोर्ट से इन कंपनियों की प्रॉपर्टी जब्त कर निवेशकों में बांटने के अधिकार की भी मांग की और कोर्ट ने उनकी मांग मान भी ली पर उनके कुछ एसेट्स के अलावे और कुछ उनके हाथ नहीं लगा.
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बहरहाल पोंजी कंपनियों में ममता सरकार की संलिप्तता का मुद्दा राजनीतिक रंग लेने लगा है. इसे लेकर जहां आम जनता में सरकार के लिये आक्रोश है, विपक्ष को भी तृणमूल कांग्रेस और ममता पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. ममता अपनी सरकार और पार्टी को अब तक इसमें निष्पक्ष बताती रही हैं पर उनके अपने भतीजे की किसी चिट फंड कंपनी में भागीदारी आने वाले समय में ममता के लिये चुनौतीपूर्ण हो सकती है.
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