Menu
blogid : 314 postid : 2469

Coal Allocation Scam: कोयले की कालिख से काली है राजनीति

coal scamआने वाले कुछ महीनों में देश में चुनावी रंगत देखने को मिलेगी जिसकी शुरुआत अभी से ही हो गई है. एक तरफ जहां भारतीय मतदाता खामोश है वहीं दूसरी तरफ देश के राजनीतिक दल अपने आप को पाक साफ बताने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं. वह नहीं चाहते कि किसी भी तरह का कोई आरोप उनके चुनावी अभियान पर पानी फेर दे, इसलिए हर पार्टी अपना हर कदम बेहद ही ध्यान से रख रही है. लेकिन बहुचर्चित कोयला घोटाला पार्टियों की इस मंशा पर पानी फेर सकता है. पिछले साल कैग ने अपनी रिपोर्ट में कोयला ब्लॉकों के आवंटन से सरकार को 1.86 लाख करोड़ के राजस्व के नुकसान की बात कही थी उसको लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका सामने आई है.


Read: कायम रहेगी क्रिकेट के बाजीगर की जादूगरी



विपक्ष भी कटघरे में

कोयला ब्लॉक आवंटन पर बनाई गई संसद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में यूपीए के साथ एनडीए को भी कठघरे में खड़ा किया है. जिसके बाद मंगलवार को बीजेपी ने अपना तेवर बदलते हुए सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री और कानून मंत्री से इस्तीफे की मांग तेज कर दी. संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को दिनभर के लिए कार्यवाही स्थगित होने से पहले हंगामा और शोरशराबा हुआ. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा किया.

इसके अलावा संसद की स्थाई समिति ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर अपनी रिपोर्ट में वर्ष 1993 से अब तक के सभी कोयला ब्लॉक आवंटनों को अवैध करार देते हुए इन्हें रद्द किए जाने का सुझाव दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आवंटनों में पारदर्शिता नहीं बरती गई. 1993 से लेकर 2004 तक के आवंटन बिना किसी विज्ञापन के किए गए. रिपोर्ट के अनुसार साल 2004 से 2008 तक के आवंटन की सूचना वेबसाइट पर दी गई, लेकिन इसमें भी पारदर्शी निविदा प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. इसलिए इन आवंटनों से सरकार को कोई राजस्व नहीं मिला.


कानून मंत्री पर रिपोर्ट बदलने के लिए दबाव डालने का आरोप

इससे पहले केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने कोयला ब्लॉक आवंटन पर सीबीआई की रिपोर्ट में हस्तक्षेप किया है. जिसके बाद विपक्ष ने सरकार के खिलाफ अपने हमले की धार को तेज करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विधि मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग की. विपक्ष के हमलों से अविचलित कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की भाजपा की मांग को खारिज कर दिया.


Read: कुपोषण को खत्म कर पाएगा खाद्य सुरक्षा विधेयक ?


सीबीआई को  हलफनामा  देने को कहा गया

गौरतलब है कि कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि खदानों के आवंटन में गड़बड़ी हुई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि वो मामले की जांच रिपोर्ट पेश करे. कोर्ट ने इस रिपोर्ट को केंद्र से साझा न करने की बात कही थी. साथ ही अदालत ने केन्द्र को अतिरिक्त हलफनामा दायर करने को कहा था. खबर है कि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा न्यायालय को सूचित करेंगे कि कोयला मामले में रिपोर्ट पर विधि मंत्री अश्विनी कुमार और मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के साथ चर्चा की गई थी. सिन्हा से शीर्ष अदालत ने 25 अप्रैल तक हलफनामा देने को कहा था. इससे पहले सीबीआई ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला में कथित राजनीतिक दखलअंदाजी की खबरों को “काल्पनिक” करार दिया था.

पिछले साल भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश की चुनिंदा निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने कोयला खानों का आवंटन कौड़ियों के भाव कर दिया. कोयला खानों को प्रतिस्पर्धी बोलियों की बजाय आवेदन के आधार पर देने से सरकार को 17.40 अरब टन कोयले पर 1.86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. कैग ने 2004 से 2009 के कोयला ब्लाकों के आवंटन की जांच की थी. वर्ष 2006 से 2009 तक कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था इसलिए विपक्षी पार्टी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस्तीफे की मांग कर रही है.


Read:

कोयले की कालिख से भी काला है श्रीप्रकाश का दिल !!


Tags: Indian coal allocation scam, Bharatiya Janata Party, auction 194 coal block, Parliament, Prime Minister Manmohan Singh, coal scam probe report, Law Minister, नियंत्रक एवं महालेखापरीक्ष, कानून मंत्री, कोयला खान.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh