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Coal Allocation Scam: फिर बोतल से बाहर आया कोल घोटाले का जिन्न

कुछ महीने पहले केंद्र की यूपीए सरकार कोलगेट के मामले में पूरी तरह से घिरी हुई दिखाई दे रही थी. उसके कई मंत्री इस हाई प्रोफाइल घोटाले में फंस चुके थे. यहा तक की देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी सवाल उठाए जा रहे थे. उधर सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सीबीआई से रिपोर्ट मांगकर सरकार के ऊपर शिकंजा कस रखा था. लेकिन अचानक रेल घूसकांड ने कोल घोटाले की तस्वीर ही बदल दी. विपक्ष से लेकर मीडिया का सारा ध्यान कोयला घोटाले से हटकर रेल घूसकांड की तरफ मुड गई जिसके आरोपी थे पवन बंसल. लेकिन एक बार फिर बोतल से बाहर आता दिख रहा है कोल घोटाले का जिन्न.


एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक पीसी पारेख ने कहा कि अगर सीबीआई को कोयला खदानों के आवंटन में साजिश की बू आ रही है तो सबसे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी नंबर वन बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सीबीआई को लगता है कि तालाबीरा खदान हिंडाल्को को आवंटित करने में कोई साजिश हुई है तो प्रधानमंत्री को आरोपी नंबर वन बनाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ही आवंटन को मंजूरी दी थी. पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने कोयला आवंटन घोटाले में एफआईआर में अपने नाम की खबर सुनकर यह बात कही थी.


गौरतलब है कि कोयला आवंटन घोटाले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है, जिसमें देश के बड़े उद्योगपतियों में एक कुमारमंगलम बिड़ला और कोयला मंत्रालय के पूर्व सचिव पीसी पारिख का नाम दर्ज है. कुमारमंगलम बिड़ला के खिलाफ सीबीआई ने धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है. उनकी कंपनी हिंडाल्को पर कोल ब्लॉक आवंटन में घपले का आरोप है. इस सिलसिले में आदित्य बिड़ला ग्रुप के कई अफसरों के नाम भी एफआईआर दर्ज की गई है. यह मामला 2005 का है, जब ओडिशा के झारसुगुडा जिले में हिंडाल्को को तालाबीरा दो कोल ब्लॉक दिए गए.


कौन हैं पीसी पारिख

पीसी पारिख 1969 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर हैं. पारिख मार्च 2004 में कोयला मंत्रालय के सचिव बने. उस समय केंद्र में एनडीए की सरकार थी. पारिख 2005 में कोयला सचिव थे. उन्हें कोलगेल व्हिस्लब्लोअर माना जाता रहा है. पारेख पर सीबीआई ने बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. पारिख पहले अफसर हैं जिनपर कोयला घोटाले में एफआईआर हुई है. वह दिसंबर 2005 में रिटायर हुए थे.

पारिख के आरोप के बाद एक बार फिर केंद्र की यूपीए सरकार सवालों के घेरे में आई गई है. सरकार पर पहले ही आरोप लगते थे कि वह सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है. कोल घोटाले में जिस तरह से प्रधानमंत्री को बचाने और पीसी पारिख को इसमें घसीटने की बात सामने आई उससे यह बात साबित होती है कि चुनावी माहौल में केंद्र सरकार अपने आप को पाक साफ दिखाना चाहती है.


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