कॉलेज और विश्वविद्यालय से ही समाज के निर्माता निकल कर बाहर आते हैं. इनका सुचारू रूप से चलना सामाजिक ताने-बाने के अच्छे रहने के संकेत हैं, लेकिन अगर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की स्थिति बदतर है तो उससे समाज की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
बिहार का प्रसिद्ध ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय रोज नये विवादों से घिरता जा रहा है. कभी किसी कॉलेज के प्राचार्य के स्थानांतरण के मामले में तो कभी इसी विषय पर न्यायालय का आदेश न मानने के मामले पर. ऐसे ही एक मामले में सुनवायी करते हुए पटना उच्च न्यायालय के न्यायधीश जस्टिस ए के त्रिपाठी ने एलएनएमयू के कुलपति के पहनावे पर टिप्पणी करते हुए न्यायालय में कहा कि, “आप नहीं जानते कि न्यायालय में कैसे हाजिर हुआ जाता है. इस पहनावे को देखिये. किस तरह के शिक्षित हैं ये?”
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दरभंगा के एमएलएसएम कॉलेज से बेगुसराय के एसबीएसएस कॉलेज में स्थानांतरित कर दिये गये देव चंद्र चौधरी का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि इस नये विवाद ने बिहार के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कलई खोल कर रख दी है.
दरअसल पिछले 15 दिनों से एक प्रोफेसर अभेश चंद्र झा धरना दे रहे थे. उनके समर्थन में कुछ अन्य प्रोफेसर और छात्रों का दल था. डॉ झा विश्वविद्यालय में अदालती आदेश के पालन की माँग के साथ धरने पर बैठे थे. एलएनएमयू के कुलपति ने इन्हें वार्ता के लिये बुलाया लेकिन प्रतिनिधिमंडल के सद्स्यों को लेकर मामला बिगड़ गया.
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इस पर कॉलेज इंस्पेक्टर (साइंस) डॉ अजित कुमार चौधरी ने प्रोफेसर सुशील झा को थप्पड़ जड़ दिया. जानकारी के अनुसार रोहित यादव और कुछ अन्य लोग लाठी के साथ आये और धरना दे रहे प्रोफेसर के समर्थकों पर टूट पड़े. एलएनएमयू के प्रॉक्टर ने मीटिंग में व्यस्तता की बात कह इस मामले में बात करने से फिलहाल इंकार कर दिया. किसी को थप्पड़ मारना गैर-कानूनी से अधिक अनैतिक है. आज 21वीं शताब्दी में भी अगर कोई ऐसा करता है तो उसे समृद्ध भारतीय समाज में एलियन की संज्ञा से सुशोभित किया जा सकता है. इसलिये इस विश्वविद्यालय में एलियन का मिलना हैरत से भरपूर है.Next….
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