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इन तरीकों से ATM तक पहुंचता है कैश, ऐसी होती है पूरी प्रक्रिया

पिछले कुछ दिनों से एक बार फिर से एटीएम और बैंक में नकदी की परेशानी हो रही है। हालांकि ऐसी परेशानी देश की कुछ हिस्सों में ही देखी जा रही है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर एटीएम और बैंक शाखाओं तक नोट कैसे पहुंचते हैं। करेंसी नोटों की प्रिंटिंग और सप्लाई होने में कई तरह के कार्य रिजर्व बैंक और कैश लॉजिस्टिक कंपनियां करती हैं, जिसके बाद ही आपको नए करारे नोट मिल पाते हैं। इस प्रक्रिया में समय भी काफी लगता है। आज हम आपको वही सारी प्रक्रिया बताएंगे, जिसके बाद नए नोट सिस्टम में आते हैं।

 

 

आरबीआई करता है पूरा आंकलन

नए करेंसी नोटों के छापने को लेकर के सबसे पहले मुंबई स्थित रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुख्यालय में आकलन किया जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि पूरे देश में कितनी संख्या में नोट प्रचलन में हैं, कितनों को नष्ट किया जाएगा और नष्ट हुए नोटों के बाद उसको कितनी संख्या से रिप्लेसमेंट करना चाहिए। इसके अलावा जीडीपी और महंगाई के आंकड़ों पर भी नजर रखी जाती है। यह गणना करने के बाद आरबीआई साल की शुरुआत में नए वित्त वर्ष से पहले वित्त मंत्रालय को करेंसी नोटों की जरुरत के बारे में बता देता है।

 

 

आरबीआई की निगरानी में होती है छपाई

आरबीआई करेंसी नोट को प्रिंट करने वाली प्रेस को ऑर्डर देता है कि कौन सा नोट कितनी संख्या में प्रिंट करना है। हमारे देश में चार प्रिंटिंग प्रेस हैं, जहां पर हर छोटे-बड़े नोटों की छपाई होती है। यह प्रिंटिंग प्रेस नासिक, देवास, मैसूरू और सालबोनी में हैं। नोट की छपाई में प्रयोग होने वाले कागज की सप्लाई होशंगाबाद और मैसूरू में स्थित करेंसी पेपर मिल से होती है। इनके अलावा देश में कहीं भी करेंसी नोटों की प्रिंटिंग नहीं होती है।

 

 

ऐसे होती है नोटों की सप्लाई

इन चार प्रिंटिंग प्रेस में नोटों के छपने के बाद सबसे बड़ा काम डिस्ट्रीब्यूशन का होता है। पूरे देश में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 19 क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जहां नोटों को पहुंचाया जाता है। इसके अलावा देशभर में 4 हजार से अधिक करेंसी चेस्ट हैं, जहां नोटों की सप्लाई की जाती है। इन चेस्ट से उन जगहों पर भी सप्लाई होती हैं, जहां पर आरबीआई के रीजनल ऑफिस नहीं होते हैं।

 

 

सड़क और हवाई मार्ग से सुरक्षित पहुंचाए जाते हैं प्रिंटिंग प्रेस

प्रिंटिंग प्रेस से नोटों को आरबीआई के रीजनल ऑफिस और करेंसी चेस्ट तक पहुंचाने में पुलिस और सेना की भी मदद ली जाती है ताकि वो सड़क या फिर हवाई मार्ग से सुरक्षित पहुंच सकें। हालांकि इन नोटों की तब तक वैल्यू नहीं रहती है, जब तक इसके बदले समान कैश या सिक्युरिटीज नहीं दी जाती हैं।

 

 

बैंकों को सप्लाई ऐसे होते हैं नोट

इसके बाद आरबीआई के रीजनल ऑफिस और करेंसी चेस्ट बैंकों को सप्लाई करते हैं। बैंकों को आरबीआई से नोट लेने से पहले एक इंडेंट देना होता है। इसी इंडेंट के आधार पर आरबीआई बैंकों की करेंसी चेस्ट में नए नोट सप्लाई करता है। देश भर में बैंकों की 2800 करेंसी चेस्ट हैं।

 

 

कैश वैन से आते हैं ATM तक पैसे

देश भर में केवल कुछ ही कंपनियां हैं जो कैश इन ट्रांजिट में हैं। आपने एटीएम और बैंकों के बाहर कई कैश वैन देखीं होगी। यह कैश वैन बैंकों के करेंसी चेस्ट से पैसा निकालकर उसे बैंकों की अन्य ब्रांचों में सप्लाई और एटीएम में कैश भरने का काम करती हैं। जो एटीएम बैंकों के परिसर में लगे होते हैं, उनमें कैश डालने की जिम्मेदारी संबंधित ब्रांच की होती है। ब्रांच से दूर लगे एटीएम को कैशवैन की मदद से भरा जाता है।

 

 

कैश वैन में लगा होत है जीपीएस

आरबीआई, बैंक और लॉजिस्टिक कंपनियां इस पूरी प्रक्रिया को गुप्त रखती हैं। ऐसा इसलिए ताकि कैश को लूटने से बचाया जा सके। इसलिए कौन से एटीएम में कितना कैश डालना है और किस जगह पर जाना है इसकी जानकारी कुछ ही लोगों के साथ शेयर की जाती है। कैश वैन में भी जीपीएस लगाया जाता है, ताकि उसको आसानी से ट्रैक किया जा सके।Next

 

 

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