सऊदी अरब न्यायालय ने अली मोहम्मद अल निमर का सिर कलम करके मौत की सजा सुनाई है. अली मोहम्मद अल निमर एक नौजवान लड़का है जिसका दोष बस इतना है कि वह सऊदी अरब के सड़कों पर लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन कर रहा था. निमर को 2012 में सऊदी प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया था तब उसकी उम्र 17 साल थी. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार से लेकर दुनियाभर के देशों ने सऊदी सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है.
अब निमर को किसी भी समय सऊदी सरकार फांसी दे सकती है.
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निमर की सजा पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए प्रतिबद्धता का सरासर उल्लंघन बताया है. इसी घटना पर ऐतराज जताते हुए एनोनिमस नामक हैकर्स एक्टिविस्ट के एक समूह ने 26 सितंबर को सऊदी सरकार की कई वेबसाइट बंद कर दिए. इसके बाद ट्विटर पर हैशटैग (#) OpNimr के साथ निमर को मौत की सज़ा देने के विरोध में प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई.
साथ ही इन एक्टिविस्ट के समूहों ने सऊदी सरकार और सऊदी के राजकुमार सलमान के नाम एक बयान जारी कर कहा है कि “अगर एक निर्दोष नौजवान लड़के को सऊदी अरब में मौत की सजा दी गई तो हम चुपचाप नहीं रहेंगे”. 13 जजों के बैंच ने निमर की मौत की सजा पर मुहर लगा दिया है. अब सिर्फ राजकुमार सलमान की ही सहमति बाकी है.
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फ्रांस के राष्ट्रपति ने निमर की मौत की सजा पर रोक लगाने की अपील की है. अन्य देशों के प्रमुख ने भी निमर के समर्थन में आए हैं. ब्रिटेन के नेता जेरेमी कोरबाइन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को चिट्ठी लिखकर इस मामले में दखल देने की मांग की है.Next…
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