मौजूदा राजनीति ढांचा कुछ इस तरह का हो चुका है कि आप अपने विरोधियों पर एक सवाल दागोगे तो सामने वाला चुपचाप नहीं बैठेगा बल्कि वह भी सवालों की फेहरिश्त के साथ आपको घेरने की कोशिश करेगा. अब तक कांग्रेस और बीजेपी को सवालों से घेरने वाले राजनीति के नवोदित नेता अरविंद केजरीवाल खुद कई सारे सवालों में घिरे नजर आ रहे हैं. यह सवाल अपने बयानों से मीडिया में हलचल फैलाने वाले दिग्विजय सिंह ने किए हैं.
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कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने 27 सवाल जारी करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल को इन सवालों के जवाब देने चाहिए. जवाब में दिग्विजय के सवालों पर टीम केजरीवाल ने कहा है कि उनका एक भी सवाल देश से जुड़ा नहीं है, इसलिए जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है. इससे पहले केजरीवाल ने दिग्विजय के उस दावे को भी गलत बताया जिसमें कहा गया था कि उन्होंने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का सदस्य बनने की इच्छा जताई थी.
वैसे दूसरों से सवालों का जवाब मांगने वाले अरविंद से पूछे गए इन सवालों में कुछ प्रश्न ऐसे भी हैं जिनका जवाब शायद देश जानना चाहता होगा. जैसे एक सवाल में दिग्विजय सिंह ने पूछा क्या एनजीओ कबीर को फोर्ड फाउंडेशन से तकरीबन दो करोड़ रुपये मिले? अगर मिले तो इसका इस्तेमाल भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में हुआ या नहीं. वैसे अरविंद को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि आखिर एनजीओ कबीर है क्या, उसमें किस तरह के लोग जुड़े हुए हैं, फोर्ड फाउंडेशन ने एनजीओ कबीर को पैसे क्यों दिए आदि. इसके अलावा एक और सवाल में दिग्विजय सिंह ने अरविंद से पूछा कि आपकी कोर कमेटी के एक सदस्य ने 20 करोड़ की धांधली का आरोप लगाया, आपने इसका जवाब क्यों नहीं दिया? सवाल वाजिब है कि अगर आप किसी और पर करोड़ों की धांधली का आरोप लगा रहे हैं तो आपको भी बताना होगा कि आपके इस सदस्य पर यह आरोप क्यों है.
दिग्विजय सिंह द्वारा पूछे गए कई सवालों में कुछ सवाल ऐसे भी हैं जो काफी महत्वहीन हैं और जिसका भ्रष्टाचार से कोई लेना देना नहीं. जैसे क्यों आपकी पत्नी का ट्रांसफर कभी दिल्ली से बाहर नहीं हुआ? एक और सवाल में जैसे आपका एक बार चंडीगढ़ ट्रांसफर हुआ, लेकिन आपने ज्वाइन नहीं किया?. इन सवालों द्वारा उन्होंने कांग्रेस का खासकर आलाकमान का खैरख्वाह बनने की कोशिश की है.
वैसे दिग्विजय सिंह की ओर से जो भी सवाल पूछे गए गए हैं उससे यही पता चलता है कि जिस तरह से अरविंद और उनकी टीम पिछले कुछ दिनों से मीडिया के माध्यम से जनता के सामने नेताओं से सवाल पूछ रही है वही तरीका दिग्विजय सिंह ने भी अपनाया है. भले इन सवालों में दम हो या न हो लेकिन इस तरह के सवालों से जनता को असल मुद्दे से भटकाया जाता है या फिर गुमराह करने कोशिश की जाती है.
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दिग्विजय सिंह, अरविंद केजरीवाल.
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