कैसे गोरे होने की चाहत लिए अंधाधुंध अपने चेहरों पर क्रीम पर क्रीम पोतते जा रहें हैं?
करीब एक महीने बाद भी नतीजा ढ़ाक के तीन पात ही निकला. सो, निखिल ने अपने भाई की मदद से ऐसे विज्ञापन की पुंगी बजाने की ठान ली.
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इमामी कम्पनी के दावों के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने पर उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायत दर्ज करा दी. इस मामले की सुनवाई में तीन साल लगे और उसके बाद जो फैसला आया वह उन सबको सचेत करने वाला साबित हुआ जो बिना अपना दिमाग चलाये ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को सच मान लेते हैं.
फैसले में इमामी कम्पनी को पंद्रह लाख का जुर्माना देने की बात लिखी गई. इसके अलावा कम्पनी से ऐसे विज्ञापनों को वापस लेने की बात लिखी गई जिसमें करिश्माई तरीके से निखार आने का दावा किया जाता था.
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शिकायतकर्ता निखिल को दस हजार रूपये का मुआवजा दिया गया क्योंकि उन्होंने नुकसान की माँग नहीं की थी. इसलिए शेष रकम को दिल्ली उपभोक्ता आयोग की ग्राहक कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश दिया गया.Next….
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